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दुष्‍यंत व दिग्विजय चौटाला का अब राजस्‍थान की ओर रुख, चुनावी रण में उतरने की तैयारी

 
दुष्‍यंत व दिग्विजय चौटाला का अब राजस्‍थान की ओर रुख, चुनावी रण में उतरने की तैयारी

चंडीगढ़। JJP in Rajasthan: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार में शामिल जननायक जनता पार्टी (जजपा) की निगाह अब राजस्थान पर भी है। वह राजस्‍थान के विधानसभा चुनाव के रण में उतरने की तैयारी में जुट गई है। इसके मद्देनजर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और उनके छोटे भाई जजपा महासचिव दिग्विजय चौटाला राजस्‍थान में सक्रिय हो गए हैं। बता दें कि चौटाला परिवार की राजस्‍थान की राजन‍ीत में जड़ें रही हैं। दुष्‍यंत व दिगग्विजय के परदादा चौधरी देवीलाल राजस्‍थान सांसद और पिता अजय सिंह चौटाला राजस्‍थान में विधायक रह चुके हैंं।

राजस्थान विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ेगी जजपा, इससे पहले छात्र संघ का चुनाव भी लड़ा जाएगा

दुष्‍यंत और दिग्विजय चौटाला राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ने की नींव रखने में जुट हुए हैं। इसके लिए उन्होंने जजपा के छात्र संगठन इनसो को आधार बनाया है। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। जजपा वहां विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले छात्र संघ के चुनाव भी लड़ेगी।

जजपा को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दिलाने के लिए हरियाणा से बाहर निकलना जरूरी

उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जजपा को एक क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता है, लेकिन उनका सपना इस पार्टी को परवान चढ़ाते हुए राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दिलाने का है। राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता के लिए एक शर्त यह है कि कोई राजनीतिक दल चार लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा में छह प्रतिशत वोट हासिल करे या फिर विधानसभा चुनावों में चार या इससे अधिक राज्यों में कुल छह प्रतिशत या इससे अधिक वोट जुटाए।

दुष्‍यंत के परदादा देवीलाल राजस्‍थान से सांसद व पिता अजय चौटाला विधायक रह चुके हैं

इसके लिए जहां दुष्यंत स्वयं प्रयास करते हुए पार्टी का जनाधार बढ़ाने में लगे हैं, वहीं हरियाणा के आसपास के राज्यों में भी पार्टी का आधार बढ़ाने पर उनकी निगाह है। दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला के खून में राजनीति बचपन से बसी है। उनके पड़दादा देवीलाल राजस्थान जिले की सीकर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर देश के उपप्रधानमंत्री बने, जबकि पिता अजय सिंह चौटाला की राजनीति की शुरुआत भी राजस्थान से ही हुई थी।

पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं, जबकि बेटे दुष्यंत चौटाला संरक्षक की भूमिका में हैं। अजय चौटाला का देश-प्रदेश में बड़ा राजनीतिक प्रभाव है। अजय सिंह राजस्थान की दातारामगढ़ और नोहर विधानसभा सीट से जनता पार्टी के विधायक रह चुके हैं। दातारामगढ़ में जनता पार्टी की टिकट पर वह साल 1989 में पहली बार विधायक बने थे।

अजय चौटाला इसके बाद विधानसभा चुनाव में अगले पांच साल के लिए नोहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। दुष्यंत चौटाला ने अपने दादा ओमप्रकाश चौटाला की अंगुली पकड़कर बड़े मुकाम हासिल किए हैं। दुष्यंत खुद हिसार से सांसद रह चुके हैं। इनेलो में हुए बिखराव के बाद दुष्यंत चौटाला ने जिस तरह अलग पार्टी बनाते हुए पहली बार में ही चुनाव लड़कर 10 विधायक जिताए और अपने स्वयं के बूते भाजपा सरकार में शामिल हुए, वह उनकी राजनीतिक काबिलियत को बयां करने के लिए काफी है।

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी है जजपा

हरियाणा में भाजपा के साथ जजपा का राजनीतिक सफर बढ़िया ढंग से चल रहा है। सरकार के कामों का जिम्मा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर है तो संगठन का काम इनसो अध्यक्ष एवं जजपा महासचिव के नाते दिग्विजय सिंह चौटाला देख रहे हैं। राजनीति में उतार-चढ़ाव झेलने में माहिर हो चुके दो भाई भाजपा के साथ मिलकर दिल्ली विधानसभा चुनाव व हरियाणा में ही दो उपचुनाव लड़ चुके हैं। आदमपुर उपचुनाव भी गठबंधन मिलकर लड़ेगा। इससे अलग दोनों भाई चाहते हैं कि जजपा का विस्तार व्यापक स्तर पर हो। खासतौर से उस राजस्थान में, जहां उनके पड़दादा, दादा व पिता की राजनीतिक जड़े हैं।

भाजपा का हर कदम पर साथ लेकिन खुद की पहचान बनाना भी जरूरी

इनसो के राष्ट्रीय सम्मेलन में दुष्यंत चौटाला ने जहां राजस्थान विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, वहीं भाजपा को भी यह संदेश दिया है कि वह उसके साथ हर कदम पर चलने को तैयार है, लेकिन अपने खुद की पहचान से पार्टी किसी तरह का कोई समझौता नहीं करने वाली है।

इसी तरह दिग्विजय चौटाला ने भी राजस्थान में छात्र संघ के चुनाव लड़ने का ऐलान कर काफी समय वहां बिताने का संकेत दिया है, ताकि छात्र संघ के चुनाव के बहाने जजपा की राजनीतिक जमीन को उपजाऊ बनाया जा सके। दुष्यंत चौटाला ने अपने राजस्थान दौरे के दौरान किसान के बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जताकर एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया है। दुष्यंत वहां प्राइवेट नौकरियों में 75 प्रतिशत राजस्थान के युवाओं को आरक्षण के भी पक्षधर हैं, जिसका उन्हें काफी समर्थन मिला है।