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Mustard Cultivation: सरसों की खेती से मिलेगा अच्छा मुनाफा, किसान बुवाई से पहले इन बातों का रखें ध्यान

सरसों की खेती: सरसों की उन्नत किस्मों में पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा अग्नि, पूसा तारक और पूसा महक शामिल हैं। बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर की जांच कर लेनी चाहिए ताकि अंकुरण प्रभावित न हो।
 
Mustard Cultivation

गेहूं की तुलना में सरसों की खेती किसानों के लिए अधिक फायदेमंद साबित हुई है। सरसों के ऊंचे भाव तीन साल से दिख रहे हैं। इसलिए इस साल किसान भी इसकी खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। लेकिन बुवाई से पहले अपनी किस्मों और खेत की तैयारी पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि मौसम की अनुकूलता को देखते हुए किसान इस समय सरसों की बुआई कर सकते हैं।

सरसों की उन्नत किस्मों में पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा अग्नि, पूसा तारक और पूसा महक शामिल हैं। आप उनका उपयोग कर सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी बीज दर 1.5 से 2 किलो प्रति एकड़ होनी चाहिए। बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर की जांच अवश्य कर लें ताकि अंकुरण प्रभावित न हो।

रोपण से पहले करें यह काम
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सरसों की बिजाई से पहले बीजों को थीरम या कैप्टन से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। पंक्तियों में रोपण करना अधिक लाभदायक होता है। कम फैलने वाली किस्मों को 30 सेमी और अधिक फैलने वाली किस्मों को पंक्तियों में 45-50 सेमी की दूरी पर लगाएं। विरलन द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सेमी. मृदा परीक्षण के बाद यदि गंधक की कमी हो तो अंतिम जुताई में 20 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से डालें।

अन्य फसलों की तैयारी करें
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार रबी सीजन की फसल बोने से पहले किसानों को अपने खेतों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए। गड्ढों, नालियों, खेतों के रास्ते और खाली खेतों को साफ करें, ताकि रोग के कारक कीट अंडे नष्ट हो सकें। सड़ी हुई खाद का प्रयोग खेत में करें क्योंकि इससे मिट्टी के भौतिक और जैविक गुणों में सुधार होता है। इससे भूमि की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है।

मटर बोने के टिप्स
इस मौसम में किसान सरसों और गेहूं ही नहीं मटर की भी बुआई कर सकते हैं। रोपण से पहले मिट्टी में पर्याप्त नमी का ध्यान रखना सुनिश्चित करें। उनकी उन्नत किस्मों में पूसा प्रगति और अर्चिल शामिल हैं। 2.0 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से कैप्टन या थायरम कवकनाशी के साथ मिलाकर बीज का उपचार करें, फिर फसल विशिष्ट राइजोबियम का टीका लगाना सुनिश्चित करें।

इसी तरह, किसान जल्दी आलू लगाकर अधिक लाभ कमा सकते हैं, क्योंकि यह फसल 60-90 दिनों में तैयार हो जाती है। आलू की अगेती खेती के बाद रबी की कोई अन्य फसल जैसे देर से आने वाला गेहूँ लगाकर दोगुना मुनाफा कमाया जा सकता है।