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क्या सच में किसानों की बात नहीं मान सकती मोदी सरकार ? जानें MSP पर सरकार की मजबूरी

Kisan Andolan
 
Kisan Andolan

Haryana Kranti News, नई दिल्ली: किसानों का आंदोलन ( Kisan Andolan News ) एक बार फिर से सड़कों पर है, और सरकार और किसान नेताओं के बीच चार राउंड की बातचीत फेल हो गई है। किसान एमएसपी पर कानून की गारंटी ( Guarantee of law on MSP ) से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। सरकार ने किसानों को पांच साल तक दाल, मक्का, कपास को एमएसपी पर खरीद ( MSP Kharid ) का प्रस्ताव दिया है, लेकिन किसानों ने इसे मानने के लिए जिद कर ली है। इस संघर्ष के बीच, दिल्ली बॉर्डर ( Delhi Border ) पर पुलिस की किलाबंदी और मजबूत हो गई है।

किसानों की मांगें : Farmers' Demands

किसानों का कहना है कि एमएसपी के बिना वे अच्छे दामों पर अपनी फसल नहीं बेच सकते हैं। वे चाहते हैं कि सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी के साथ मंजूर करे, ताकि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का लाभ हो सके।

विरोध की ओर से सरकार का तर्क है कि एमएसपी की व्यवस्था अब जरूरत से ज्यादा है, क्योंकि देश में अनाज की कमी नहीं है। इसके बावजूद, किसानों ने अपनी मांगों को लेकर फिर से दिल्ली कूच कर ली है।

एमएसपी : MSP Latest News

एमएसपी का आरंभ 1960 के दशक में हुआ था, जब देश अनाज की कमी से जूझ रहा था। उस समय का उद्दीपन करते हुए एमएसपी की व्यवस्था शुरू हुई थी, ताकि किसानों को अधिक फसल पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

लेकिन अब देश में अनाज की कमी नहीं है, और एमएसपी की आवश्यकता सवालिक हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, एमएसपी की व्यवस्था हमेशा के लिए नहीं चल सकती, और अब इसकी जरूरत खत्म हो गई है।

सरकार की मजबूरी

एमएसपी की मांगों को मानने पर सरकार को अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ेगा। अगर सरकार एमएसपी के तहत अधिक फसलों को खरीदना तय करती है, तो इससे कुल खर्च में वृद्धि होगी। इसके परिणामस्वरूप, अधिक खर्च करने से वित्तमंत्री को बड़ी मुश्किलें आ सकती हैं। वित्तमंत्री को या तो अन्य क्षेत्रों में कटौती करनी पड़ेगी या फिर नए करों को बढ़ाना होगा, जिससे जनता को महंगाई का सामना करना पड़ेगा।

आंधोलन का मुद्दा

किसानों की जिद का मुद्दा है उनकी मुख्यता को सुनिश्चित करना, जिससे वे अधिकतम फसल की खेती करें और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले। एमएसपी की गारंटी के बिना, किसानों को अच्छे दामों पर अपनी फसल नहीं बेच सकने का खतरा है। इससे उन्हें निराशा हो रही है और वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं।