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गेहूं में लग रहे कीड़े से नहीं मिल रहा छुटकारा ? यह चीज बनेगी रामबाण, जानें...

अक्सर हम देखते हैं कि गेहूं और अन्य अनाज समय के साथ खराब हो जाते हैं। उन्हें सुरक्षित रखने के लिए लोग केमिकल्स और दवाओं का उपयोग करते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे दादी-नानी के जमाने में एक साधारण और सुरक्षित तरीका अपनाया जाता था, जिससे गेहूं को सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता था?

 
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अक्सर हम देखते हैं कि गेहूं और अन्य अनाज समय के साथ खराब हो जाते हैं। उन्हें सुरक्षित रखने के लिए लोग केमिकल्स और दवाओं का उपयोग करते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे दादी-नानी के जमाने में एक साधारण और सुरक्षित तरीका अपनाया जाता था, जिससे गेहूं को सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता था?

 राख का उपयोग

बुंदेलखंड में सदियों से गेहूं को सुरक्षित रखने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया जाता है - राख का उपयोग। इस उपाय से न केवल गेहूं खराब होने से बचता है, बल्कि घुन-कीड़े भी नहीं लगते।

 गेहूं को सुरक्षित रखने के लिए भट्टी की राख का उपयोग किया जाता है। केमिकल्स और दवाओं की जगह राख का उपयोग करने से स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता।  राख के उपयोग से दवाओं की खरीदारी की आवश्यकता नहीं होती।

राख के उपयोग की प्रक्रिया

चरण 1:

गेहूं की कटाई के बाद, भारी मात्रा में अनाज एकत्रित हो जाता है। इस समय लोग किफायती दाम पर गेहूं खरीदते हैं।

चरण 2:

बुंदेलखंड के लोग भट्टी से राख उठाकर घर ले आते हैं और उसे गेहूं में मिलाते हैं।

चरण 3:

इस राख को गेहूं में मिलाने से न केवल घुन-कीड़े दूर रहते हैं, बल्कि गेहूं सालों तक सुरक्षित रहता है।

राख का उपयोग एक पुराना लेकिन प्रभावी तरीका है, जो आज भी कारगर साबित हो रहा है। आधुनिक केमिकल्स और दवाओं के बजाय, इस प्राकृतिक उपाय को अपनाकर हम न केवल अपने अनाज को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं। बुंदेलखंड के इस पारंपरिक नुस्खे को आज भी अपनाना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।