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पॉवर ऑफ़ एटर्नी क्या है? प्रॉपर्टी के लेन-देन में कितना फायदेमंद है

 
Power of Attorney

प्रॉपर्टी खरीदना या बेचना कोई आसान काम नहीं है. ये तो हम सभी को पता है. पर कई बार हमें इस सेगमेंट से जुड़ी बहुत सारी बारीकियों के बारे में नहीं पता होता है. जैसे आपने पॉवर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) का जिक्र कई बार सुना होगा, पर क्या आपको इसके मायने भी पता हैं? ये किस काम आती है, फायदेमंद है भी या नहीं, क्या आपको इसकी जानकारी है? चलिए फिर आज हम आपको बताते हैं…

पॉवर ऑफ अटॉर्नी असल में एक कानूनी दस्तावेज होती है. इसे प्रॉपर्टी का मालिक या कोई व्यक्ति अपनी शक्तियों का ट्रांसफर किसी दूसरे व्यक्ति को करने के लिए करता है. ताकि वह उसके स्थान पर जरूरी फैसले कर सके. जो व्यक्ति पॉवर ऑफ अटॉर्नी जारी करता है, उसे प्रिंसिपल, ग्रांटर या डोनर कहा जाता है. जबकि जिसके नाम पॉवर ऑफ अटॉर्नी की जाती है, उसे अटॉर्नी, एजेंट या डोनी कहा जाता है. ये तो हुई मोटा-मोटी पॉवर ऑफ अटॉर्नी की समझ, अब बात इसके दूसरे पहलुओं पर करते हैं.

कब काम की होती है पॉवर ऑफ अटॉर्नी ?

मान कर चलिए आप विदेश में रहते हैं या दूर किसी ऐसे शहर में जहां से आपके लिए आना-जाना आसान ना हो. और आपकी कोई प्रॉपर्टी है जिसे आप बेचना चाहते हैं. तब आ पॉवर ऑफ अटॉर्नी के लीगल टूल का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप अपने किसी करीबी रिश्तेदार या जानकार के नाम उस प्रॉपर्टी से संबंधित पॉवर ऑफ अटॉर्नी कर दें, जो आपके नाम पर उस प्रॉपर्टी को बेचने से जुड़े फैसले कर सके.

और किसमें काम आती है पॉवर ऑफ अटॉर्नी ?

आप पॉवर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल सिर्फ प्रॉपर्टी के लेन-देन के लिए नहीं, बल्कि और कामों के लिए कर सकते हैं. जैसे टैक्स रिटर्न फाइल करना, शेयरों का लेन-देन करना, बैंकिंग से जुड़े कामकाज को निपटाना इत्यादि. ये बुजुर्ग, बहुत ज्यादा बीमार लोगों के लिए काफी काम का लीगल टूल हो सकती है.

कितने तरह की होती है पॉवर ऑफ अटॉर्नी?

भारत में पॉवर ऑफ अटॉर्नी एक्ट-1982 के तहत ही पॉवर ऑफ अटॉर्नी जारी की जाती है. इसके तहत 3 तरह की पॉवर ऑफ अटॉर्नी इश्यू करने का प्रावधान है. एक है साधारण या पारंपरिक, दूसरी स्पेशल या सीमित और तीसरी ड्यूरेबल या नॉन ड्यूरेबल पॉवर ऑफ अटॉर्नी.

इसमें जनरल पॉवर ऑफ अटॉर्नी सामने वाले व्यक्ति को अंब्रेला अथॉरिटी देती है. यानी इसमें बैकिंग, टैक्सेशन, प्रॉपर्टी, निवेश और कानूनी वादों से जुड़े सभी तरह के मामलों में लेनदेन करने की पॉवर ट्रांसफर हो जाती है. जबकि स्पेशल पॉवर ऑफ अटॉर्नी में किसी खास काम को निपटाने की पॉवर ट्रांसफर की जाती है. जबकि ड्यूरेबल टाइप की पॉवर ऑफ अटॉर्नी व्यक्ति ऐसे मामलों में जारी करता है, जिस काम को वह अपनी मृत्यु के बाद भी चलाए रखना चाहता है.

कौन जारी कर सकता है पॉवर ऑफ अटॉर्नी?

कानून के मुताबिक ग्रांटर 18 साल से ऊपर के किसी भी भरोसेमंद व्यक्ति के नाम पर पॉवर ऑफ अटॉर्नी जारी कर सकता है. इतना ही नहीं वह एक से ज्यादा पॉवर ऑफ अटॉर्नी भी नियुक्त कर सकता है, जो संयुक्त तौर पर या अलग-अलग पॉवर के साथ किसी काम को निपटा सकते हैं. हालांकि पॉवर ऑफ अटॉर्नी बनाने के लिए आपको डीड की स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज देने होते हैं.

क्या वापस ली जा सकती है पॉवर ऑफ अटॉर्नी?

पॉवर ऑफ अटॉर्नी जारी करने वाला ग्रांटर जब तक मानसिक रूप से स्वस्थ है, तब तक वह अपनी पॉवर ऑफ अटॉर्नी वापस लेने का हकदार है. यदि ग्रांटर की मौत हो जाती है तो पॉवर ऑफ अटॉर्नी खुद से ही रद्द हो जाती है. इसके लिए उसे नोटरी की मौजूदगी में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होते हैं और लिखित में पॉवर ऑफ अटॉर्नी कैंसिल करने की सूचना एजेंट को देनी होती है.