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Cyrus Mistry Death: सायरस मिस्त्री अचानक मौत से बाद 30 अरब डॉलर की कंपनी को बद झटका! जानिए कौन होगा शापूरजी पलोनजी ग्रुप का अगला मुखिया?

 
Cyrus Mistry Death: सायरस मिस्त्री अचानक मौत से बाद 30 अरब डॉलर की कंपनी को बद झटका! जानिए कौन होगा शापूरजी पलोनजी ग्रुप का अगला मुखिया?

Cyrus Mistry Death: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और जाने-माने उद्योगपति साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) का रविवार को एक सड़क हादसे में निधन हो गया। 54 वर्षीय मिस्त्री तब अहमदाबाद से मुंबई लौट रहे थे। पालघर के नजदीक उनकी मर्सिडीज कार डिवाइडर से टकरा गई जिसमें उनकी मौत हो गई।

अरबों डॉलर की संपत्ति वाले 157 साल पुराने शापूरजी पलोनजी ग्रुप के लिए अपने सबसे छोटे उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में मौत दोहरा झटका है। कुछ ही महीनों पहले, जुलाई के अंत में साइरस के पिता एवं ग्रुप के चेयरमैन पलोनजी शापूरजी मिस्त्री का निधन हो गया था। लगभग 30 अरब डॉलर की संपत्ति वाले इस ग्रुप की टाटा समूह में 18.6 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

'सीनियर' पलोनजी मिस्त्री ने 1865 में 'लिटिलवुड पलोनजी एंड कंपनी' की स्थापना की थी। साइरस के पिता पलोनजी मिस्त्री का 28 जून, 2022 को निधन हो गया था। उन्हें 'फैंटम ऑफ बॉम्बे हाउस' भी कहा जाता था। अरबपतियों के ब्लूमबर्ग सूचकांक के अनुसार, एसपी समूह की कुल संपत्ति 2022 में लगभग 30 अरब डॉलर है। टाटा संस के चेयरमैन के रूप में नियुक्त होने के साथ 2012 में भारतीय उद्योग जगत में अचानक से उभरे साइरस मिस्त्री की रविवार को एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

मिस्त्री 2012 में जब 44 साल की उम्र में टाटा संस के चेयरमैन बनाए गए तो वह शापूरजी पलोनजी ग्रुप की कंपनियों की अगुवाई कर रहे थे। इतनी कम उम्र में उन्होंने 100 अरब डॉलर से अधिक कारोबार वाले टाटा समूह के मुखिया के तौर पर रतन टाटा जैसे दिग्गज की जगह ली थी। ऐसी चर्चा थी कि टाटा ग्रुप की प्रतिनिधि कंपनी टाटा संस की बागडोर संभालने को लेकर मिस्त्री अनिच्छुक थे, लेकिन खुद रतन टाटा ने उन्हें इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए मनाया था। वह चार साल तक पद पर रहे और अक्टूबर 2016 में उन्हें अचानक ही पद से हटा दिया गया। चूंकि उन्हें दिसंबर 2012 में टाटा ग्रुप का चेयरमैन नियुक्त किया गया था, साइरस पारिवारिक व्यवसाय के संचालन में नहीं थे और उनके बड़े भाई शापूर मिस्त्री कारोबार संभाल रहे हैं।

शापूरजी ने किया मुगल-ए-आजम को फाइनेंस

हिंदी सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम को शापूरजी ने फाइनेंस किया था। फिल्म निर्माण जोखिम वाला व्यवसाय माना जाता है। संयोग से ही शापूरजी का बॉलीवुड से जुड़ाव हो गया था। मुगल-ए-आज़म को उस दौर की सबसे महंगी फिल्मों में गिना जाता है। शापूरजी ने इस फिल्म के लिए करीब डेढ़ करोड़ रु खर्च किए थे।