Income Tax: किराए से होनी वाली कमाई पर कितना लगता है टैक्स? नहीं पता तो आज ही जान लें
यदि आपने अपना कोई मकान किराए पर दिया है और इससे होने वाली कमाई को आप इनकम टैक्स में नही दर्शाते हैं तो आपके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। किराए के मकान से होने वाली कमाई टैक्स के दायरे में आती है। यदि आपने रियल स्टेट में अच्छा-खासा पैसा इन्वेस्ट किया है और इससे इनकम हो रही है तो भी टैक्स की देनदारी बनती है। किराए के मकान से होने वाली इनकम आपकी टोटल इनकम में जुड़ जाती है और इस परिस्थिति में आप जिस टैक्स ब्रैकेट में आते हैं उस हिसाब से आपको टैक्स भरना होता है।
इंडिविजुअल को होती है कमाई, तो भी भरना होगा टैक्स
यदि किसी इंडिविजुअल की कमाई का एकमात्र जरिया रेंटल इनकम है तो 1 वित्त वर्ष में यह 2.5 लाख रुपए तक है तो उसके लिए भी टैक्स रिटर्न भरना जरूरी है। रेंटल इनकम पर कई तरह के डिडक्शन का भी लाभ मिलता है। इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पूरे साल में रेंट से होने वाली कमाई को ग्रॉस एनुअल वैल्यू कहते हैं. इस इनकम से मुनूसिपल टैक्स को डिटेक्ट किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए 1 महीने का किराया 30000 रूपये है तो 1 साल का किराया 3.5 लाख रुपए बनता है. इसे ग्रॉस एनुअल वैल्यू कहते हैं।
30% डिडक्शन का मिलता है लाभ
ग्रॉस एनुअल वैल्यू से प्रॉपर्टी टैक्स को घटा देने पर नेट एनुअल वैल्यू निकल जाती है। मान लीजिए कि 60000 रूपये का टैक्स चुकाया गया है. ऐसे में नेट एनुअल वैल्यू घटकर 300000 रूपये हो जाती है। प्रॉपर्टी टैक्स को मुंसिपल टैक्स भी कहते हैं। अब इनकम टैक्स की धारा सेक्शन 24ए के तहत 30 फ़ीसदी के डिडक्शन का लाभ उठाया जा सकता है। इसका कैलकुलेशन नेट एनुअल वैल्यू के आधार पर होता है।
डिडक्शन बेनिफिट
इस मामले में सेक्शन 24ए के तहत डिडक्शन का अमाउंट 90000 रूपये होगा। डिडक्शन के बाद नेट एनुअल वैल्यू घटकर 2.1 लाख रुपये हो जाती है. अगर रेंटेड प्रॉपर्टी को होम लोन की मदद से खरीदा गया है तो इंसटैंटली पेमेंट पर सेक्शन 24बी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है।
2 लाख तक मिलेगा डिडक्शन
पूरे वित्त वर्ष में जितनी ईएमआई चुकाई गई है उसके इंस्टेंट पार्ट पर डिडक्शन का लाभ मिलता है। इसकी अप्पर लिमिट 200000 रूपये है। ऊपर लिखे गए मामले में दो लाख के निरीक्षण के बाद उस इंडिविजुअल की इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी घटकर 10000 रूपये रह जाती है। यह उसकी टोटल इनकम में शामिल हो जाएगी और व्यक्ति जिस टैक्स ब्रैकेट में आता होगा उसके हिसाब से टैक्स जमा करना होगा।