Movie prime

7th Pay Commission: सैलरी के एरियर से बढ़ गया टैक्स का बोझ? तो इस नियम से मिलेगी छूट

 
7th Pay Commission: सैलरी के एरियर से बढ़ गया टैक्स का बोझ? तो इस नियम से मिलेगी छूट

7th Pay Commission News: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतनभोगी कर्मचारी को कुछ एरियर्स मिल सकते हैं, जो उस साल कर के दायरे में हो सकती है. अगर चालू वर्ष में आपको कोई ऐसी राशि मिलती है तो इसका ग्रॉस सैलरी पर सीधा असर होगा, जिसकी वजह से कर देनदारी में व्यापक रूप से बढ़ोतरी हो सकती है.

इस वजह से आप उच्च आयकर स्लैब में पहुंच जाएंगे. इसका मतलब यह हुआ कि आपकी टैक्स देनदारी बढ़ जाएगी. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है. आप आसानी से यह टैक्स बचा सकते हैं. बस इनकम टैक्स के सेक्शन का ध्यान रखना होगा.

IT Act में राहत का प्रावधान

आयकर अधिनियम धारा 89(1) के तहत राहत का प्रावधान किया गया है, ताकि सैलरी एरियर्स मिलने के बाद उत्पन्न होने वाली कर देनदारी के प्रभाव को कम किया जा सके. धारा 89(1) के तहत ऐसी राहत का दावा किया जा सकता है. अगर ऐसे एरियर्स को प्राप्त करने के बाद भुगतान किया जाने वाला कर अधिक हो. अगर कोई अतिरिक्त टैक्स देनदारी नहीं बनती है, तो राहत नहीं मिलेगी.

धारा 89(1) के तहत सैलरी एरियर राहत

एरियर के पैसे पर टैक्स की धारा 89(1) की मदद से टैक्स बचाया जा सकता है. एरियर से जुड़े टैक्स के मामलों को समझना जरूरी है. इसी टैक्स डिडक्शन के लिए सेक्शन 89(1) का प्रावधान रखा गया है. इस सेक्शन की मदद से आप टैक्स राहत पा सकते हैं.

सबसे पहले आपको अपनी पूरी कमाई जोड़नी होगी. यहां तक कि एरियर के पैसे पर भी टैक्स जोड़ना होगा. जिस साल टैक्स भरना है, उसी साल की इनकम को जोड़ना होगा. इसके लिए फॉर्म 16 देख लें, जिसके पार्ट बी में एरियर दिखता है.

अब अपनी कुल कमाई जोड़ लें, जिसमें एरियर भी आयेगा. इस पर टैक्स की गणना कर लें. इसके बाद कुल कमाई से एरियर हटाकर टैक्स की गणना करें. अगर टैक्स बनता है तो आपको उसे बचाने के लिए सेक्शन 89(1) की मदद लेनी चाहिए.

कैसे बचा सकते हैं टैक्स?

सेक्शन 89(1) में टैक्स रिबेट का फायदा लेने के लिए आपको फॉर्म 10ई भरना होगा. यह फॉर्म आपको टैक्स विभाग की वेबसाइट पर मिलेगा. यह फॉर्म टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले भरना होता है. इस फॉर्म में एरियर का भी जिक्र होता है. एरियर पर आप टैक्स तभी बचा पाएंगे, जब आप फॉर्म 10ई भरेंगे. यह काम पूरी तरह से डिजिटल है और इसके लिए टैक्स विभाग के दफ्तर का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती.