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हरियाणा के इस गांव में आजादी के बाद पहली बार बनेगा अनुसूचित जाति का सरपंच, जानें गांव का इतिहास

 
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चौपटा। ग्राम पंचायत चुनाव की घोषणा होने के बाद जो जो मतदान की तारीख और नामांकन करने की तारीख नजदीक आ रही है। ग्रामीणों में पंचायत चुनाव को लेकर उत्साह बढ़ता जा रहा है। हालांकि इस समय खेतों में काम की अधिकता के बावजूद भी ग्रामीण अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए बैठकों का दौर जारी रखे हुए हैं। इसी कड़ी में आजादी से लेकर अब तक गांव गुड़िया खेड़ा में पहली बार अनुसूचित जाति का उम्मीदवार गांव का प्रतिनिधित्व करेगा। गांव में इससे पहले हमेशा से ही सामान्य वर्ग के व्यक्तियों ने प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन इस बार गांव गुड़िया खेड़ा की बागडोर अनुसूचित जाति के हाथों में होगी।

फिलहाल गांव गुड़िया खेड़ा के गली, मोहले, चैपाल और घर घर में चर्चा चल रही है कि इस बार किसको गांव का मुखिया बनाया जाएगा। गांव में 4 सरपंच पद के उम्मीदवार के चहरे सामने आए है। जिसमें मंजूबाला पुत्री आत्माराम भाटिया, मोनिका पुत्रवधू कृष्ण भाटिया, एकता पुत्रवधू जगदीश भाटिया और कलावती पुत्रवधू साहब राम भाटिया चुनाव मैदान में है।

13 वार्डों में विभक्त 3225 मतदाताओं वाले गांव गुड़िया खेड़ा में मुख्य समस्या गांव से सेम के पानी निकासी की है। और ग्रामीण इसी मुद्दे को लेकर सरपंच का चुनाव करने के लिए उत्साहित हैं। करीब डेढ़ साल से ग्राम पंचायत चुनाव का इंतजार कर रहे ग्रामीण अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं।

गांव में आजादी से लेकर पहली दफा अनुसूचित जाति का उम्मीदवार गांव का प्रतिनिधित्व करेगा। खासतौर पर अनुसूचित जाति में काफि उत्साह है। गांव का सरपंच ऐसे उम्मीदवार को बनाया जाएगा जो शिक्षित हो, गांव में विकास कार्य करवाने की रूची रखता हो, सभी के साथ व्यवहार अच्छा हो और बिना किसी भेदभाव के गांव के विकास को गति देने योग्य होगा उसी को ही गांव का मुखिया बनाया जाएगा।

हरिसिंह मंडा, पूर्व सरपंच, गुडिया खेड़ा।

जो गांव और वार्ड विकास कार्यो पर नजर रखता हो, उनको तुरंत प्रभाव से करवाने की क्षमता रखता हो और अधिकारियों से बात कर गांव के लिए बजट ले सकें। गांव में ऐसे प्रत्याशी को चुना जाएगा जो गांव में रोजगार का कोई प्लान बना सके।

चौधरी सुभाष बिरड़ा, गुडिया खेड़ा।

अनुसूचित जाति में इस बार गांव में सरपंच पद का उम्मीदवार चुना जाएगा यह एक अच्छी पहल है। सभी वर्गो को नेतृत्व करने का मौका मिलना चाहिए। गांव का सरपंच शिक्षित और गांव में विकास कार्य करने वाला होना चाहिए जो सभी ग्राम वासियो को एकमत अपने साथ लेकर चले और कोई भेदभाव की भावना न रखें तथा उसे समय समय पर आने वाली ग्राम विकास सरकारी योजनाओं की जानकारी भी होनी चाहिए।

रमेश जांगड़ा, गुड़िया खेड़ा।

गांव में पहली बार अनुसूचित जाति की महिला सरपंच आने के कारण एससी समाज में उत्साह है। हर व्यक्ति को समानता का अधिकार है। गांव में शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा व गांव के हर व्यक्ति के सुख दुख को सांझा करने वाला होना चाहिए। गांव में भाईचारा स्थापित करने की सोच रखने वाला होना चाहिए।

जगदीप गोदारा, पूर्व पंचायत समिति सदस्य