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अब QR कोड से कसेगा नकली दवाओं पर शिकंजा, 1 अगस्त से लागू होगा ये नियम

 
counterfeit drugs

अब मोबाइल पर स्कैन करके आप पता कर सकते हैं कि जो दवाईयां आपको दी जा रही है वो असली है या नकली। सरकार ने 300 नामी दवाईयों के ब्रांड पर क्यूआर कोड और बारकोड लगाने का निर्देश जारी कर दिया है। नई व्यवस्था अगले साल पहली अगस्त से लागू होगी। इस पर पूरी डिटेल समझते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि QR और बार कोड दवाओं पर लगेंगे। 1 अगस्त 2023 से यह व्यवस्था लागू होगी। फार्मा कंपनियों को सरकार ने निर्देश भी दे दिए हैं।

जिन 300 दवाओं के फॉर्मूलेशन के पैकेज पर बार कोड प्रिंट होने हैं उनका एक बड़ा हिस्सा ज्यादातर काउंटर से खरीदा जाता है। इस नियम के आने से नकली दवाओं की पहचान हो सकेगी और ऐसी नकली दवाओं की बिक्री पर भी रोक लग सकेगी। अधिकारी ने जानकारी दी के एक बार कोड या क्यूआर कोड (QR code) के दवाओं पर होने से उसके असली या नकली होने का पता चलेगा।

गौरतलब है कि यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री ने इस साल जून में एक ड्राफ्ट गैजेटेड नोटिफिकेशन जारी किया था और इस पर लोगों से उनकी राय मांगी थी। इस पर मीले फीडबैक के आधार पर हेल्थ मिनिस्ट्री ने फैसला लिया है। ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के रूल 96 की शेड्यूल H 2 के मुताबिक, 300 ड्रग फॉर्मूलेशन प्रोडक्ट्स के निर्माताओं को अपने प्राइमरी या सेकेंडरी पैकेज लेबल पर Bar Code या QR Code को प्रिंट करना अनिवार्य होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 10 फीसदी मेडिकल प्रोडक्ट घटिया या नकली होते हैं। हालांकि ये दुनिया के हर इलाके में पाए जा सकते हैं। सरकार ने नकली और घटिया दवाओं के उपयोग को रोकने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ही सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं के लिए ये व्यवस्था शुरू करने की योजना बनाई है।