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हरियाणा में इन शराब ठेकेदारों पर एक्शन की तैयारी, 17 मौतों के बाद विभाग की खुली नींद

 
Liquor Contractor

Haryana Kranti, चंडीगढ़: हरियाणा के यमुनानगर और अंबाला में 17 मौतों के बाद जिला खाद्य सुरक्षा विभाग (Department of Food Safety) जाग गया है। विभाग अब शराब और बीयर के सैंपल (Samples of wine and Beer) लेगा और इस साल अब तक विभाग ने एक भी सैंपल नहीं लिया है.

नवंबर 2020 में सनौली के गांवों में पांच जघन्य मौतों के बाद सीएम फ्लाइंग स्क्वायड (CM Flying Squad) और एक्साइज विभाग की टीम (Excise Department Team) ने भारी छापेमारी और गिरफ्तारियां की थीं. लेकिन इसके बावजूद इस साल अब तक शराब और बीयर का एक भी सैंपल नहीं लिया गया है.

ये हैं मुख्य नियम

-बोर्ड पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जारी लाइसेंस नंबर लिखना होगा।

-शराब और बीयर की बोतलों के रैपर पर लाइसेंस नंबर होना चाहिए।

-परिसर को साफ-सुथरा रखना होगा. शराब व बीयर की बोतलें गर्म स्थान पर नहीं रखी जाएंगी।

-बोतल और कैन की सील सही स्थिति में हैं।

-दुकान का स्टाफ बीमार न हो, व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना होगा।

5 लाख रुपये तक जुर्माना

मादक पेय पदार्थों के विनिर्माण, पैकिंग और बिक्री को नियमों का पालन करना होगा। बिना खाद्य लाइसेंस और पंजीकरण के शराब और बीयर का निर्माण और बिक्री करने पर छह महीने की साधारण सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माना है।

बोतल पर निर्माण अवधि, कीमत, इथाइल अल्कोहल की मात्रा आदि का स्पष्ट उल्लेख न करने पर 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। शराब में घातक तत्व पाए जाने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.

शराब, बीयर विक्रेताओं को खाद्य सुरक्षा-औषधि प्रशासन द्वारा लाइसेंस प्राप्त होना चाहिए

दरअसल, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने शराब और बीयर को भी जांच के दायरे में ले लिया है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 3 (जे) के तहत, अंग्रेजी और देशी शराब सहित बीयर पेय पदार्थों की श्रेणी में आती है।

हरियाणा सरकार ने अप्रैल 2018 में आदेश जारी कर शराब और बीयर विक्रेताओं को खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन से लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता बताई थी।

लाइसेंस शुल्क रु. विभाग के अधिकारी अन्य खाद्य पदार्थों की तरह इन दुकानों से शराब के नमूने लेकर जांच के लिए लैब में भेजेंगे। जिले में अंग्रेजी, देसी शराब और बीयर की करीब 200 दुकानें हैं।

अधिकांश ठेकेदारों को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा लाइसेंस नहीं दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि विभागीय अधिकारी लाइसेंस जांच और सैंपलिंग की कार्रवाई तक नहीं कर पाए हैं।