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Haryana Land Bank Policy: हरियाणा में बनेगा भूमि बैंक, जानिए कैसे करेगा काम?

 
Haryana Land Bank Policy: हरियाणा में बनेगा भूमि बैंक, जानिए कैसे करेगा काम?

चंडीगढ़। विकास परियोजनाओं के लिए जमीन की कमी से जूझ रही हरियाणा सरकार ने अब लैंड पूलिंग पालिसी लांच की है। नई पालिसी से शहरों में नए सेक्टर बनाने, वाणिज्यिक, संस्थागत और ढांचागत विकास के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने में मदद मिलेगी।

परियोजनाओं के लिए भूमालिक को पोर्टल पर खुद जमीन देने की पेशकश करनी होगी। नगर एवं आयोजना विभाग के प्रधान सचिव अरुण गुप्ता की ओर से नई पालिसी की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इससे शहरीकरण और औद्योगीकरण के लिए लैंड बैंक बनाने में मदद मिलेगी।

एन्हांसमेंट (भूमि का बढ़ा मुआवजा) और अधिगृहीत जमीन के लिए आए दिन हाेने वाले धरने-प्रदर्शनों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने यह पालिसी बनाई है। लैंड पूलिंग पालिसी में खास बात यह है कि भूमि मालिक विकास प्रक्रिया में भागीदार होंगे।

भूमि के आवंटन को रिक्त भूमि (रा लैंड) की लागत से जोड़कर उन्हें अधिकतम लाभ दिया जाएगा। नीति के तहत हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) शहर के अंदर आवासीय, वाणिज्यिक, संस्थागत और बुनियादी ढांचे का विकास करेगा। इसी तरह हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एचएसआइआइडीसी) प्रदेश में कहीं भी औद्योगिक, बुनियादी ढांचे या संस्थागत उद्देश्यों के लिए विकास कार्य करेगा। इतना ही नहीं, कोई भी विभाग या बोर्ड- निगम या प्रदेश सरकार के स्वामित्व और नियंत्रण वाले संगठन भी विकास परियोजनाओं को सिरे चढ़ा सकेंगे।

नई नीति के तहत डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन द्वारा भू-स्वामियों को एक भूमि अधिकार प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा जो ट्रेड या मोर्टगेज रखा जा सकता है। नीति के तहत कोई भी भूमि मालिक या तो सीधे या एक एग्रीगेटर के माध्यम से प्रकाशन में निर्दिष्ट अवधि के भीतर विकास परियोजना के लिए भूमि की पेशकश करने के लिए आवेदन जमा कर सकता है। आवेदन के लिए कोई शुल्क नहीं होगा।

भूमि मालिक परियोजना के लिए प्रस्तावित भूमि के विवरण के साथ डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन की वेबसाइट पर अपना आवेदन आनलाइन जमा करेंगे। मैन्युअल आवेदन को खारिज कर दिया जाएगा। आवेदन के लिए डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन द्वारा एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर प्रदान किया जा सकता है।बाक्सविकास परियोजनाओं में हिस्सेदार बनेंगे भू-मालिकभूस्वामियों को विकास परियोजनाओं में हिस्सेदार भी बनाया जाएगा।

विकसित भूमि का आवंटन हिस्सा परियोजना की कुल लागत में भूस्वामियों द्वारा योगदान की गई अविकसित भूमि के बाजार मूल्य पर आधारित होगा। विकास परियोजना में भागीदार प्रत्येक भूस्वामी को वार्षिक अंतरिम वित्तीय सहायता दी जाएगी जिसे परियोजना की कुल लागत में शामिल किया जाएगा।

परियोजना की कुल लागत सभी भूस्वामियों द्वारा योगदान की गई अविकसित भूमि के मूल्य, विकास की लागत, अंतरिम वार्षिक सहायता और प्रशासनिक शुल्क का योग होगा।बाक्सस्वेच्छा से बेच सकते जमीनभू-स्वामी या एग्रीगेटर राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वेबसाइट पर जाकर प्रदेश सरकार को आनलाइन मोड के माध्यम से स्वेच्छा से अपनी भूमि देने की पेशकश कर सकता है।

कोई भी डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन विकास उद्देश्यों के लिए किसी भी परियोजना हेतु प्रस्तावित भूमि का उपयोग कर सकता है। भूमि मालिक सीधे या एग्रीगेटर के माध्यम से ई-भूमि पोर्टल पर अपने स्वामित्व वाली भूमि की पेशकश करने के लिए स्वतंत्र होगा। यदि एग्रीगेटर के माध्यम से भूमि की पेशकश की जाती है तो एग्रीगेटर भूस्वामियों और एग्रीगेटर के बीच सहमति के अनुसार पारिश्रमिक प्राप्त करने का पात्र होगा। बशर्ते कि पारिश्रमिक 0.5 प्रतिशत से कम न हो।