खाद की किल्लत से अन्नदाता परेशान, बर्बाद होने की कगार पर कपास की खेती
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Fertilizers crisis: मध्य प्रदेश के खरगोन में डीएपी खाद नहीं मिलने की वजह से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सोसाइटियों में डीएपी नहीं मिलने से किसानों की कपास की फसलें चौपट होने के कगार पर है. वहीं, किसानों ने व्यापारियों पर इसे बाजार में ब्लैक में बेचने का भी आरोप लगाया है.
कपास की फसल चौपट होने की कगार पर
खरगोन जिले में डीएपी खाद नहीं मिलने से किसान सोसायटियों के चक्कर लगा रहे हैं. लाख जतन करने के बावजूद वे कपास की फसल को बचाने में असमर्थ हैं. बता दें इससे पहले भी यहां डीएपी के संकट की बात सामने आई थी. तब किसानों ने इसकी आपूर्ति बढ़ाने का निर्देश दिया था. लेकिन कपास किसानों को दो महीने बाद भी खाद नहीं मिल पाई है.
क्या कहते हैं अधिकारी
कृषि उपसंचालक एमएल चौहान का कहना है कालाबाजारी की अब तक कोई सूचना नहीं मिली है. डीएपी पिछले साल कोऑपरेटिव सेक्टर में 16400 मीट्रिक टन दिया गया था. 22 हजार मीट्रिक टन डीएपी चला गया है. उन्नीस रैक अब तक लग चुकी है. डीएपी के अलावा दूसरे खाद भी रखे हैं उनका फार्मूला भी वही है इसलिए किसान डीएपी की जगह दूसरा खाद भी ले सकते हैं.
किसानों का क्या कहना है?
कोठखुर्द निवासी किसान भोलाराम सोलंकी का कहना है खाद लेने आया हूं, लेकिन समिति वाले कह रहे हैं ऊपर से आ जाएगा तब देंगे. रक्षाबंधन तक तो कपास तैयार भी हो जाएगा. लेकिन अभी तक डीएपी आ नहीं पाई है.
ये बोल रहे हैं ऑपरेटर
उमरखली सोसायटी के ऑपरेटर अखिलेश कोठारी का कहना है हमने गाड़ी लगा दी है. जैसे ही डीएपी आएगा वितरित किया जाएगा. अभी 50% माल मिला है 50% नहीं आया है. वह आगे कहते हैं कि हम भी केवल मांग कर सकते हैं. बाकी खाद की उपलब्धता हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर की है. वहीं देवली सोसायटी ने पास के गांव से डीएपी की व्यवस्था की है, जो उन्हें 1350 की बजाय 1450 में मिला है.