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फिर से मंदी का अंदेशा: Russia-Ukraine War से विश्व अर्थव्यवस्था के लिए पैदा हुई हैं ये सात खास चुनौतियां

 
फिर से मंदी का अंदेशा: Russia-Ukraine War से विश्व अर्थव्यवस्था के लिए पैदा हुई हैं ये सात खास चुनौतियां

नई दिल्ली: यूक्रेन पर हमले के बाद लगाए गए बेहद सख्त प्रतिबंधों से रूसी अर्थव्यवस्था पर गंभीर मार पड़ी है। लेकिन इसके परिणाम विश्व अर्थव्यवस्था पर भी महसूस किए जा रहे हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों ने ताजा घटनाओं के कारण वैश्विक मंदी और वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मचने की आशंका जताई है।

एक अनुमान यह है कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का खराब असर दुनिया की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर पर पड़ेगा। इसी हफ्ते विश्व बैंक ने भी ये आशंका जताई। उधर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी कहा है कि प्रतिबंधों का वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों पर ‘गंभीर प्रभाव’ होगा।

चीन से आयात करना महंगा
दूसरा अनुमान यह लगाया है कि वैश्विक व्यापार में नई रुकावटें खड़ी होंगी। जर्मन थिंक टैंक किएल इंस्टीट्यूट (Kiel Institute) ने कहा है कि कोरोना महामारी के बाद अब जाकर विश्व व्यापार ने गति पकड़ना शुरू किया था। लेकिन अब नई समस्या पैदा हो गई है। चीन और यूरोप के बीच माल ढुलाई रूस से होकर गुजरने वाले रेल मार्ग से होती है। जब पिछले साल बंदरगाहों पर बोझ बढ़ गया था, तब इस रूट से यूरोप को बड़ी राहत मिली थी। लेकिन अब इसके जरिए कारोबार पर प्रतिबंधों का असर पड़ने की आशंका है। इससे यूरोप के लिए चीन से आयात करना महंगा हो सकता है।

तीसरा अंदेशा सप्लाई चेन संबंधी मुश्किलों के बढ़ने का है। यूक्रेन पर हमले के बाद से हजारों टैंकरों को रूस और यूक्रेन से बंदरगाहों की तरफ जाने से रोक दिया गया है। उन्हें काला सागर की तरफ से जाने की सलाह दी गई है। लेकिन वहां भीड़ बढ़ जाने के कारण परिवहन बेहद धीमी गति से हो रहा है। कोरोना महामारी के कारण सप्लाई चेन पहले से बाधित थे। इसमें अब एक नई समस्या खड़ी हो गई है।

चौथी चिंता संभावित खाद्य संकट को लेकर है। दुनिया भर में अनाज के दाम में बढ़ोतरी शुरू हो चुकी है। विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन ने पिछले हफ्ते कहा था कि मौजूदा हालत के कारण दुनिया में खाद्य सामग्रियों का अभाव हो सकता है। संगठन के मुताबिक यूक्रेन पर हमले के बाद गेहूं और जौ की कीमत में 30 फीसदी से ज्यादा वृद्धि हुई है। रेपसीड ऑयल और सूरजमुखी के तेल के दाम 60 फीसदी तक बढ़े हैं। रूस और यूक्रेन दोनों गेहूं और कई दूसरे अनाजों के सबसे बड़े निर्यातकों में हैं।

रूस की जवाबी कार्रवाई बनी चिंता का सबब
पांचवां और बेहद अहम मोर्चा कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का है। यूरोप और अमेरिका में इन दोनों कमोडिटी की कीमतें तेजी से चढ़ी हैं। इनके अलावा कोयला, रेयर अर्थ, लकड़ी और प्लास्टिक के भाव में भी इजाफा हुआ है। विश्लेषकों के मुताबिक इन चीजों की महंगाई का असर हर तरह के उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है।

छठी चिंता पश्चिमी प्रतिबंधों के खिलाफ रूस की जवाबी कार्रवाइयों से उठी है। पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस में दूरसंचार, मेडिकल, परिवहन, ऊर्जा और टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवाएं महंगी हो गई हैं। अब अगर रूस ने जवाबी कार्रवाई के तहत तेल और गैस के निर्यात में कटौती की, तो पश्चिमी देशों में आम लोगों की जिंदगी और महंगी हो जाएगी।

सातवीं चिंता यह है कि प्रतिबंधों और जवाबी प्रतिबंधों के असर से विश्व आर्थिक मंदी में फंस सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका के ताजा सर्वे से सामने आया है कि निवेशक घबराए हुए हैं और वे अपनी नकदी की जमाखोरी कर रहे हैं।

सर्वे में शामिल विशेषज्ञों के बहुमत ने कहा कि यूक्रेन संकट से मुद्रास्फीति की दर तमाम रिकॉर्ड तोड़ सकती है। लैफर टेंग्लर इन्वेस्टमेंट नाम की कंपनी की सीईओ नैंसी टेंग्लर ने एक इंटरव्यू में कहा- ‘मंदी का अंदेशा गहराता जा रहा है।

बढ़ती महंगाई, ऊर्जा की बढ़ती लागत आदि ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से यूरो ज़ोन मंदी का शिकार हो जाने की आशंका है।’