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Power Cut: बिजली की खपत से बढ़ा कटौती का खतरा! भारत में AC की रिकॉर्ड बिक्री, अगले चार महीने खूब सताएगी

 
Power Cut: बिजली की खपत से बढ़ा कटौती का खतरा! भारत में AC की रिकॉर्ड बिक्री, अगले चार महीने खूब सताएगी

नई दिल्ली। देश में गर्मी के चढ़ते पारे के साथ एसी की बिक्री और बिजली की खपत में भी जबरदस्‍त इजाफा हुआ है। इसके साथ ही बिजली संकट भी गहराता जा रहा और आने वाले महीनों में कटौती का जोखिम भी बढ़ रहा है।

दरअसल, इस बार मार्च में ही देशभर में करीब 15 लाख एसी की बिक्री हुई है। शहरों के अलावा ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में भी एसी का इस्‍तेमाल बढ़ रहा है। बाजार का अनुमान है कि इस बार करीब 95 लाख एसी की बिक्री होगी, जिससे बिजली की खपत में भी बेतहाशा वृद्धि होने का अनुमान है। कोरोनाकाल में बंद पड़े उद्योग-धंधे भी अब दोबारा पटरी पर आ रहे, जिसमें बिजली की खपत और बढ़ेगी।

अप्रैल की शुरुआत में ही रिकॉर्ड के करीब पहुंची बिजली खपत

नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ऑफ द पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन (POSOCO) के आंकड़ों को देखें तो अभी तक देश में एक दिन में सबसे ज्‍यादा बिजली खपत 7 जुलाई, 2021 को हुई है। तब पावर ग्रिड पर 2,00,570 मेगावाट (MW) बिजली का लोड रिकॉर्ड किया गया था।

इसके मुकाबले देखा जाए तो इस साल मार्च के दूसरे हफ्ते से ही लगातार 1.95 लाख मेगावाट बिजली खपत का लोड बना हुआ है। बीते 8 अप्रैल को तो यह 1,99,584 मेगावाट पहुंच गया, जो रिकॉर्ड से महज 986 मेगावाट (0.8 फीसदी) कम है।

POSOCO का कहना है कि शाम के समय देशभर में बिजली की खपत सबसे ज्‍यादा रहती है। बढ़ती गर्मी के साथ इसकी मांग और बढ़ती जाएगी। इसके अलावा शाम को सोलर सिस्‍टम के जरिये कोई बिजली उत्‍पादन भी नहीं होता जिससे और ज्‍यादा दबाव बढ़ जाता है।

अभी से जूझने लगे पावर ग्रिड

न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस साल पावर ग्रिड गर्मी की शुरुआत में ही जबरदस्‍त मांग से जूझना शुरू हो गए हैं। अभी भीषण गर्मी वाले मौसम मई, जून, जुलाई आने बाकी है, जहां बिजली की खपत एतिहासिक स्‍तर पर जाने का अनुमान है। परेशानी वाली बात ये है कि अभी से कई इलाकों में बिजली कटौती और कम पावर सप्‍लाई जैसी समस्‍याएं आना शुरू हो गई हैं।

पावर प्‍लांट के पास सीमित कोयला रिजर्व

देश में अब भी बिजली उत्‍पादन का मुख्‍य स्रोत कोयला ही है और कई प्‍लांट्स के पास कोयले का भंडार महज 9 दिन के खपत जितना ही बचा है। अगर पिछले आंकड़ों को देखें तो अप्रैल 2021 में पावर प्‍लांट्स के पास 12 दिन का कोयला था जबकि अप्रैल 2019 में 18 दिन का कोयला बचा था।

पिछले साल सितंबर में तो कोयला संकट इतना गहरा गया था कि पावर प्‍लांट्स के पास महज चार दिन का कोयला बचा था। हालांकि, अब स्थिति में सुधार है लेकिन बढ़ती मांग को पूरा करने लायक बिजली उत्‍पादन करना चुनौती होगी।