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WPI Inflation April 2022 : लगातार बढ़ती महंगाई ने अप्रैल में तोड़ा 17 साल का र‍िकॉर्ड, बढ़कर 15 प्रतिशत के पार

 
WPI Inflation April 2022 : लगातार बढ़ती महंगाई ने अप्रैल में तोड़ा 17 साल का र‍िकॉर्ड, बढ़कर 15 प्रतिशत के पार

WPI Inflation April 2022: आम लोगों के ऊपर महंगाई की मार कम होने का नाम नहीं ले रही है. खुदरा महंगाई (Retail Inflation) के 8 साल के उच्च स्तर पर पहुंच जाने के बाद अप्रैल 2022 में थोक महंगाई (Wholesale Inflation) ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने थोक महंगाई की दर 15.08 फीसदी रही. साल भर पहले यानी अप्रैल 2021 में थोक महंगाई की दर 10.74 फीसदी थी.

डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) ने मंगलवार को अप्रैल महीने के लिए थोक महंगाई के आंकड़े को जारी किया. डीपीआईआईटी ने बताया कि तेल और ईंधन की ऊंची कीमतों के कारण अप्रैल में थोक महंगाई बढ़ी है. इससे पहले एनालिस्ट भी अनुमान लगा रहे थे कि अप्रैल में थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई 15.5 फीसदी के आस-पास रह सकती है. ताजा आंकड़ों के हिसाब से अप्रैल लगातार 13वां महीना है, जब थोक महंगाई की दर 10 फीसदी से ऊपर है. इससे पहले मार्च महीने में थोक महंगाई की दर 14.55 फीसदी रही थी.

डीपीआईआईटी ने एक प्रेस रिलीज में बताया, 'अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की उच्च दर के लिए मिनरल ऑयल्स, बेसिक मेटल्स, क्रूड, पेट्रोलियम व नेचुरल गैस, खाने-पीने के सामान, नॉन-फूड आर्टिकल्स, फूड प्रॉडक्ट और केमिकल्स व केमिकल प्रॉडक्ट की कीमतों का बढ़ना जिम्मेदार है. इन सब चीजों की कीमतें पिछले साल अप्रैल की तुलना में काफी बढ़ी हैं.'

आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल महीने में फूड आर्टिकल्स की महंगाई की दर 8.35 फीसदी रही, जो मार्च में 8.06 फीसदी थी. इसी तरह ईंधन व बिजली बास्केट में थोक महंगाई की दर मार्च के 34.52 फीसदी की तुलना में बढ़कर 38.66 फीसदी पर पहुंच गई. मैन्यूफैक्चर्ड चीजों के मामले में महंगाई की दर थोड़ी बढ़ी है. यह मार्च में 10.71 फीसदी रही थी, जो अप्रैल में 10.85 फीसदी पर पहुंच गई.

इससे पहले सरकार ने पिछले सप्ताह खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए थे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई की दर 7.8 फीसदी रही, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा थी. बढ़ती महंगाई के चलते रिजर्व बैंक को इस महीने की शुरुआत में अचानक एमपीसी की बैठक कर रेपो दर बढ़ाना पड़ा था. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाते हुए स्वीकार किया था कि आने वाले महीनों में आम लोगों को महंगाई की ऊंची दर से निजात नहीं मिलने वाली है.