Movie prime

अभय चौटाला ने CM मनोहर लाल को लिखी चिट्‌ठी, इन 3 पॉइंट्स पर फोकस, जानें

 
अभय चौटाला ने CM मनोहर लाल को लिखी चिट्‌ठी, इन 3 पॉइंट्स पर फोकस, जानें

सतलुज यमुना लिंक (SYL) विवाद को लेकर इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चिट्‌ठी भेजी है। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री को इस मुद्दे को सुलझाने को लेकर सर्वदलीय बैठक और विधानसभा के विशेष सत्र बुलाने को कहा है। 


उन्होंने चिट्‌ठी में लिखा है कि इस मुद्दे को लेकर हरियाणा एक है। यह संदेश पड़ोसी राज्य को भी देना चाहिए।

उन्होंने चिट्‌ठी में यह भी लिखा है कि SYL मुद्दे को लेकर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल तुरंत समय लेकर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप किए जाने को लेकर आग्रह किया जाना चाहिए।

अभय सिंह चौटाला ने चिट्‌ठी में इन तीन मुद्दों का किया जिक्र 
सर्वदलीय बैठक की राय 

अभय चौटाला ने सीएम को चिट्‌ठी में पहले पॉइंट में सर्वदलीय बैठक बुलाने की राय दी है। उन्होंने लिखा है कि SYL को लेकर तुरंत सभी राजनीतिक दलों की एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। जिसमें इस मुद्दे को लेकर विस्तार से चर्चा की जाए। विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के बाद इसको लेकर अहम कदम उठाए जाएं।

विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दे मजबूत संदेश 
हरियाणा के हमेशा से अहम रहने वाले SYL मुद्दे को लेकर हरियाणा को एक होने की जरूरत है। यह संदेश देने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री को विधानसभा का एक विशेष सत्र तुरंत बुलाना चाहिए। इस सत्र के जरिए पड़ोसी राज्य पंजाब और केंद्र सरकार के सामने नहर निर्माण को लेकर एक मजबूत दिया जा सके।

कानूनी विशेषज्ञों से लें राय
अभय ने सीएम को भेजी चिट्‌ठी में लिखा है कि हाल ही में 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने नहर निर्माण नहीं कराए जाने को लेकर पंजाब सरकार के लिए तीखी टिप्पणी की है। इससे यह प्रतीत होता है कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि हरियाणा इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों की सलाह लें।

18 साल से पंजाब खड़ी कर रहा रुकावटें
अभय चौटाला ने कहा है कि SYL को लेकर पंजाब 18 साल से रुकावटें पैदा कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर 2016 को आदेश दिया था कि केंद्र सरकार की देखरेख में नहर का निर्माण कराया जाए, लेकिन पंजाब सरकार के कारण यह पूरा नहीं हो सका। पंजाब लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहा है, ऐसे में अब जरूरी हो गया है कि इस मुद्दे को लेकर सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में तथ्यों को लेकर गंभीर पैरवी की जाए।