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मनोहर लाल खट्टर की लाल डोरा योजना बनी वरदान, हरियाणा में लाखों लोगों को मिला मालिकाना हक, जानें अपडेट

 
मनोहर लाल खट्टर की लाल डोरा योजना बनी वरदान, हरियाणा में लाखों लोगों को मिला मालिकाना हक, जानें अपडेट

लाल डोरे की जमीन क्या होती है?

“लाल डोरा ज़मीन” को हिंदी में “लाल डोरा ज़मीन” कहते हैं। यह नामित शहरी विकास क्षेत्रों के बाहर के क्षेत्रों को संदर्भित करता है जहां पारंपरिक गांव बस्तियां मौजूद हैं। इन क्षेत्रों को कुछ भूमि नियमों से छूट दी गई है और मुख्य रूप से कृषि या आवासीय उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।

लाल डोरा मुक्ति योजना क्या है?
लाल डोरा के तहत आने वाली जमीनों को बिल्डिंग बायलाज, निर्माण-कार्य से जुड़े नियमों और नगरपालिका कानून के तहत आने वाले नियम-कायदों से छूट होती है। इसलिए यहां रहने वाले बिना नक्शा पास कराने के झंझट में पड़े अपनी जरूरत और सुविधा के अनुसार घर बना लेते हैं।

लाल डोरे की जमीन क्या होती है?
“लाल डोरा ज़मीन” को हिंदी में “लाल डोरा ज़मीन” कहते हैं। यह नामित शहरी विकास क्षेत्रों के बाहर के क्षेत्रों को संदर्भित करता है जहां पारंपरिक गांव बस्तियां मौजूद हैं। इन क्षेत्रों को कुछ भूमि नियमों से छूट दी गई है और मुख्य रूप से कृषि या आवासीय उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।


लाल डोरा जमीन दिल्ली की रजिस्ट्री कैसे करें?
लाल डोरा के तहत आने वाली प्रॉपर्टी को शहर का कोई भी प्राधिकरण रजिस्टर नहीं कर सकता है, इसलिए ही भारत सरकार एक लाल डोरा प्रमाण पत्र जारी करते हुए प्रॉपर्टी का मालिकाना हक प्रमाण के रूप में देता है। ऐसी संपत्तियों को ना तो रजिस्ट्री मिलती है और ना ही उसके लिए बैंक से कोई लोन लिया जा सकता है।

रजिस्ट्री कितने दिन में हो जाती है?
यदि आपके पास पर्याप्त जानकारी नहीं होने के कारण आपको स्वीकार नहीं किया जा सकता है। तो आप तहसील या किसी अन्य वकील से भी कानूनी सलाह ले सकते हैं। भूमि रजिस्ट्री दाखिल करने से इनकार करने से पहले 45 से 90 दिन बीत जाते हैं।

लाल डोरा खत्म होने से गांवों को काफी लाभ हुआ है । लाल डोरा को अंग्रेजों ने साल 1908 में बनाया था। उस समय राजस्व रिकॉर्ड रखने के लिए खेतीबाड़ी की जमीन के साथ बसी गांव की आबादी को अलग-अलग दिखाने के लिए नक्शे पर आबादी के बाहर लाल लाइन खींची जाती थी। लाल डोरे के अंदर लोग कब्जे के मालिक होते हैं। लाल डोरा कोई कानूनी ऐक्ट नहीं है। लाल डोरा खत्म होने से ग्रामीणों को सीधा फायदा हुआ है । लाल डोरे के दायरे में आने वाली तमाम प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हो सकेगी और भू-संपत्तियों की खरीद-फरोख्त शुरू होने पर जमीन की मार्केट वैल्यू भी बढ़ेगी।