Mughal Daughter: छत्रपति शिवाजी की दीवानी थी मुगल बादशाह की ये बेटी! पहली मुलाकात में हार गई थी दिल
Mughal History: मुगल बादशाह (Mughal Emperor) औरंगजेब (Aurangzeb) की बेटी जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) उसकी तरह धार्मिर रूप से कट्टर नहीं थी. उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) को पहली बार मुगल (Mughal Emperor) दरबार में देखा था.

Aurangzeb Daughter: मुगलों ( Mughal History ) और मराठाओं ( Maratha Hitory ) की दुश्मनी के बारे में तो हर कोई जानता है. लेकिन क्या आपको ये पता है कि मुगल बादशाह ( Mughal Emperor ) औरंगजेब (Aurangzeb) की बड़ी बेटी जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) (Zeb-un-Nissa) मराठा छत्रपति शिवाजी (Shivaji Maharaj ) महाराज (Shivaji Maharaj) की दीवानी थी. जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) ने शिवाजी के पराक्रम के कई किस्से सुने थे. इसके अलावा शिवाजी ने जब औरंगजेब के दरबार में उसको मुंहतोड़ जवाब दिया था तब जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) को उनकी वो बात बहुत अच्छी लगी थी. बताया जाता है कि जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) औरंगजेब के कम बल्कि अपने पिता के भाई दारा सिकोह के विचारों से ज्यादा प्रभावित थीं. जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) संगीत में भी रुचि रखती थीं. धार्मिक तौर पर वह कट्टर नहीं थीं. आइए जानते हैं कि जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) और शिवाजी के बीच की ये क्या कहानी है?
शिवाजी और जैबुन्निसा ( Shivaji and Zeb-un-Nissa ) की पहली मुलाकात!
मुगल बादशाह ( Mughal Emperor )औरंगजेब के दरबार में जब छत्रपति शिवाजी (Shivaji Maharaj ) महाराज पहुंचे तो उनका अपमान करने की कोशिश की गई. मुगलों ( Mughal Emperor )के बीच होते ही भी शिवाजी उनसे नहीं दबे. उन्होंने इसका विरोध किया. यही बहादुरी जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) को अच्छी लगी. दरअसल, मुगल दरबार ( Mughal History ) में शिवाजी को निम्न ओहदेदारों के साथ बैठने के लिए कहा गया था, जो बात उनको पसंद नहीं आई थी. इसके बाद शिवाजी ने साहस दिखाते हुए इसकी खिलाफत की तो मुगल दरबार ( Mughal History ) में हड़कंप मच गया था. शिवाजी के साहस को देखकर जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) दंग रह गई थीं.
जब दोबारा मुगल दरबार ( Mughal History ) पहुंचे शिवाजी
इसके बाद जैबुन्निसा ( Zeb-un-Nissa ) ने अपने पिता औरंगजेब से अनुरोध किया कि छत्रपति शिवाजी (Shivaji Maharaj ) को एक बार फिर से मुगल दरबार ( Mughal History ) में बुलाया जाए. हालांकि, कुछ अन्य दरबारियों ने भी यही बात कही. इसके बाद औरंगजेब, शिवाजी को आमंत्रण देने के लिए फिर तैयार हो गया. फिर शिवाजी को मुगल दरबार ( Mughal History ) में आने का निमंत्रण दोबारा दिया गया.
औरंगजेब का कैसे हुआ अपमान?
छत्रपति शिवाजी (Shivaji Maharaj ) जब दोबारा मुगल दरबार ( Mughal History ) में आए तो उन्होंने औरंगजेब को सलाम नहीं किया. शिवाजी ने कहा कि मुझे गुलामों की तरह व्यवहार करना नहीं पता. इसके बाद शिवाजी ने औरंगजेब के सिंहासन की तरफ पीठ मोड़ ली. इसको औरंगजेब ने अपना अपमान समझा. फिर आगबबूला औरंगजेब ने शिवाजी को नजरबंद करने का आदेश दे दिया. हालांकि, कुछ समय बाद ही शिवाजी मुगल की कैद से फरार हो गए. हालांकि, कुछ इतिहासकार शिवाजी और जैबुन्निसा (Zeb-un-Nissa) ( Shivaji and Zeb-un-Nissa )की इस कहानी सत्यता पर सवाल उठा चुके हैं.