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अब किसानों को रोजाना होगी 20 हजार की कमाई, गन्ना छोड़कर इस चीज की कर लें खेती, सरकार कर रही मदद

 
Rajnigandha Ki Kheti

Haryana Kranti, नई दिल्ली: महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्‍यो में गन्‍ने को खेती (Rajnigandha Ki Kheti) प्रमुख रूप से की जाती है. नगदी फसल होने के कारण लोग इसकी खेती (Rajnigandha Ki Kheti) सबसे ज्‍यादा करते हैं. लेक‍िन क्‍या आपको पता है अगर आप पारंपरिक खेती (Rajnigandha Ki Kheti) की बजाय बागवानी और फूलों की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) करें तो इसमें आपको ज्‍यादा फायदा हो सकता है. ऐसे कई क‍िसान हैं जो गन्‍ने, धान और गेहूं की बजाय फल और फूलों की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

1983 से रजनीगंधा के फूलों की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) कर रहे

फरीदाबाद के रहने वाले किसान प्रदीप सैनी रजनीगंधा फूल की खेती करते हैं. किसान प्रदीप सैनी की यह पुश्‍तैनी खेती (Rajnigandha Ki Kheti) है. लेक‍िन उन्‍हें इसके ल‍िए सरकार की तरफ से दी गई सब्‍स‍िडी और हॉर्टिकल्चर (Horticulture) व‍िभाग की तरफ से म‍िलने वाली सब्सिडी से काफी फायदा हुआ है. हरियाणा उद्यान निदेशालय के नुसार, प्रदीप सैनी का परिवार 1983 से रजनीगंधा के फूलों की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) कर रहा है.

24000 रुपये प्रत‍ि क‍िलो के ह‍िसाब से अनुदान

प्रदीप ने इस खेती (Rajnigandha Ki Kheti) के बारे में ज‍िक्र करते हुए कहा क‍ि हॉर्टिकल्चर विभाग की तरफ से काफी मदद म‍िल रही है. नए किसानों को राज्य सरकार की तरफ से 24000 रुपये प्रत‍ि क‍िलो के ह‍िसाब से अनुदान द‍िया जाता है. उनके गांव में 250 किसान फूलों की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) कर रहे हैं. यह खेती (Rajnigandha Ki Kheti) उनके ल‍िए धान-गेहूं और दूसरे खेती (Rajnigandha Ki Kheti) से ज्‍यादा मुनाफे वाली साब‍ित हो रही है. वे रोजाना मंडी में अपना माल बेचकर 20-30 हजार रुपये की इनकम कर लेते हैं.

उनका कहना है क‍ि गेहूं या धान की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) करने वाला क‍िसा छमाही में अपनी फसल बेच पाता है. इस दौरान उनके ऊपर ब्‍याज चढ़ता रहता है. जबक‍ि हम फूलों की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) करके रोजाना फसल की ब‍िक्री करते हैं. रजनीगंधा की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) (Rajnigandha ki Kheti) करने वाले क‍िसान रोजाना 20-30 हजार की कमाई करते हैं और हर रोज अपनी फसल को गाजीपुर मंडी में बेचने के लिए ले जाते हैं.

व‍िदेशों में भी ड‍िमांड

रजनीगंधा (Rajnigandha) के फूल की डिमांड भी प‍िछले कुछ सालों में बढ़ गई है. थाईलैंड तक इसकी सप्‍ताई की जाती है. फूल को काटकर इसकी ग्रिडिंग तैयार की जाती है. हल्के फूल और बढ़िया फूल को अलग-अलग कर ल‍िया जाता है. बढ़िया फूल का दाम बाजार में ज्‍यादा म‍िल जाता है जबक‍ि छोटा फूल कम रेट पर बिकता है.

उन्‍होंने बताया क‍ि नए किसानों को राज्य सरकार की तरफ से ट्रेनिंग दी जाती है. खेती (Rajnigandha Ki Kheti) को बढ़ावा देने के ल‍िए नए किसानों को 24,000 रुपये पर किला के हिसाब से सब्सिडी दी जाती है. प्रदीप सैनी रजनीगंधा के फूलों की खेती (Rajnigandha Ki Kheti) को सफल बनाने का श्रेय हरियाणा सरकार के हॉर्टिकल्चर विभाग को देते हैं. हरियाणा के किसान क‍िसी भी समस्या से संबंध‍ित जानकारी के ल‍िए टोल फ्री नंबर 1800-180-2021 पर संपर्क कर सकते हैं.