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Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन योजना पर क्या कदम उठाएगी सरकार? फटाफट जानें

Old Pension Scheme के तहत सरकारी कर्मचारी ( Central Staff ) को सरकार के जरिए रिटायरमेंट के बाद पूरी पेंशन राशि का भुगतान किया जाता है. जब तक कर्मचारी की नौकरी चल रही होती है, उस अवधि के दौरान कर्मचारी के वेतन से पेंशन की राशि नहीं काटी जाती है.
 
Old Pension Scheme

Pension Scheme: पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) को लेकर काफी चर्चाएं इन दिनों चल रही हैं. कई राज्य पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) को फिर से अपना चुके हैं. इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल है. इन राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) को एक बार फिर से शुरू कर दी है और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस को बंद कर दिया है. वहीं अब केंद्र सरकार और दूसरे राज्यों की सरकारों की ओर से पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) पर क्या कदम उठाए जाएंगे, इसको लेकर अभी भी सवालिया चिह्न बने हुए हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) क्या है?

पेंशन योजना

Old Pension Scheme के तहत सरकारी कर्मचारी ( Central Staff ) को सरकार के जरिए रिटायरमेंट के बाद पूरी पेंशन राशि का भुगतान किया जाता है. जब तक कर्मचारी की नौकरी चल रही होती है, उस अवधि के दौरान कर्मचारी के वेतन से पेंशन की राशि नहीं काटी जाती है. हालांकि 2004 में एनडीए सरकार के जरिए पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) को बंद कर दिया गया था, तब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की शुरुआत की थी.

पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana )

पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) के तहत सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी ( Central Staff ) को वर्ष में दो बार महंगाई राहत (DR) के पुनरीक्षण का लाभ मिलता था. पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) के तहत लास्ट सैलरी का लगभग 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में प्रदान किया जाता था.

पेंशन

नियम के अनुसार केवल सरकारी कर्मचारी ( Central Staff ) ही रिटायरमेंट के बाद पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Yojana ) के तहत पेंशन प्राप्त करने के पात्र थे. ओपीएस के तहत जनरल प्रॉविडेंट फंड (GPF) का प्रावधान था. GPF केवल भारत में सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है. मूल रूप से यह सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत GPF में योगदान करने की अनुमति देता है.