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दीपावली के अगले दिन यूं ही नहीं 'राम-राम' कहकर किया जाता है अभिवादन, राम नाम में छिपे हैं कई रहस्‍य, जानें असली कारण

 
Ram Navami 2023

Haryana Kranti, नई दिल्ली: भारतीय संस्कृति में जब लोग एक दूसरे से मिलते हैं, तो नमस्कार या प्रणाम करते हैं, लेकिन कई लोग 'राम-राम' कहकर अभिवादन करते हैं. इस संबंध में डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया है कि इस शब्द के पीछे एक गहरा रहस्य है.

'राम-राम' का योग

ज्योतिष में 108 को बेहद शुभ माना जाता है, और इसका योग साधने के लिए मुंबई के ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया है कि जब हम 'राम-राम' कहते हैं, तो इसमें 108 मन का जाप होता है. जिससे हमें एक माला के समान पुण्य प्राप्त होता है. इसमें रहस्य है कि शब्द के हर अक्षर का अपना महत्व होता है, और इनका समाहित योग 108 बनता है.

शब्दार्थ गहरा

हिंदी की शब्दावली के अनुसार, 'र' सत्ताइसवां शब्द है, 'आ' दूसरा, और 'म' पच्चीसवां शब्द है. इन तीनों का योग 27 + 2 + 25 = 54 होता है. और 54 + 54 = 108. इसलिए 'राम-राम' बोलने से ही 108 का योग होता है. इससे आता है एक माला के समान जाप का पुण्य.

'राम-राम' और मोक्ष

अद्भुत रूप से, 'राम-राम' के निरंतर जाप से व्यक्ति मोक्ष की ओर बढ़ सकता है. जाप के द्वारा ध्यान में एकाग्रता बनती है और यह आत्मा को अपने उच्चतम स्वरूप की ओर पहुंचाता है. इस प्रकार, 'राम-राम' का निरंतर जाप करना मन, शरीर, और आत्मा को एक साथ मिलाकर मोक्ष की प्राप्ति की ओर ले जा सकता है.

108 की महत्ता

'राम-राम' के निरंतर जाप में 108 की संख्या का विशेष महत्त्व है. ऋषि-मुनियों ने इस आदान-प्रदान को ग्रहण करते हुए माला की संख्या को 108 चुना. नक्षत्रों की कुल संख्या 27 होती है, और हर नक्षत्र के चार चरण होते हैं. इससे ही गुणा घात करने पर 108 मिलता है. इस प्रकार, माला के हर दाने में एक नक्षत्र का प्रतिनिधित्व होता है, जिससे आत्मा को आत्मा से जोड़ने का अनुकरण होता है.