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भारत का सबसे लंबा Signature Bridge, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन; जानें कितना खास है ये सेतु

Sudarshan Setu
 
Sudarshan Setu

Haryana Kranti News, नई दिल्ली: भारत में एक और नायाब इंफ्रास्ट्रक्चर मार्वल तैयार हो गया है, जिसे हम सुदर्शन सेतु (Sudarshan Setu) कहते हैं। यह सेतु देश का सबसे लंबा केबल ब्रिज (longest cable bridge) है, जिसकी लंबाई 2.32 किलोमीटर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा देश को समर्पित किया जाएगा और इसकी लागत करीब 980 करोड़ रुपये है। यह अद्वितीय केबल ब्रिज ओखा को समुद्र के बीच बसे भेट द्वारका से जोड़ता है।

यूनिक डिजाइन और सुदर्शन सेतु की खासियतें

सुदर्शन सेतु का डिजाइन अत्यंत अनूठा है। इसमें दोनों तरफ श्रीमद्भगवद गीता (Srimad Bhagavad Gita) के श्लोकों और भगवान कृष्ण की छवियों से सजा हुआ एक फुटपाथ है। इसमें फुटपाथ के ऊपरी हिस्से पर सौर ऊर्जा के पैनल भी लगाए गए हैं, जिससे एक मेगावाट बिजली पैदा होती है। यह न केवल पुल को सुंदर बनाता है, बल्कि इससे ऊर्जा संग्रहण का भी साधन हो रहा है।

इस पुल ने यात्रा करने वालों के लिए सुविधाएं भी बढ़ा दी हैं, जिससे उनका समय बचेगा और यात्रा आसान होगी। यह न केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर है, बल्कि एक सांस्कृतिक स्मृति भी।

सुदर्शन सेतु ने बदला तीर्थयात्रा का स्वरूप

पहले सुदर्शन सेतु के निर्माण से पहले, तीर्थयात्री भेट द्वारका तक पहुंचने के लिए अपने नाव का सहारा लेते थे। मौसम की कठिनाइयों के कारण उन्हें विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। इस पुल ने इस समस्या को हल करके दरबारी यात्रा को बहुत आसान बना दिया है। अब यात्री नई और सुधारित सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं और उन्हें नावों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।

टेक्निकल स्पेसिफिकेशन

इस पुल का डेक कंपोजिट स्टील-रिइनफोर्स्ड कंक्रीट से बना है, जिससे इसकी दृढ़ता और स्थायिता सुनिश्चित है। इसकी चौड़ाई 27.2 मीटर (89 फीट) है और दोनों किनारे पर 2.5 मीटर (8 फीट) चौड़ा फुटपाथ बना है। इसकी कुल लंबाई 2,320 मीटर (7,612 फीट) है, जिससे यह भारत का सबसे लंबा केबल ब्रिज है।

मंजूरी और निर्माण की शुरुआत

इस पुल के निर्माण की मंजूरी 2016 में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर, 2017 को ओखा और भेट द्वारका को जोड़ने वाले पुल की आधारशिला रखी थी।

इस परियोजना की अनुमानित लागत 962 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में यह संशोधित होकर 980 करोड़ रुपये हो गई है। इस पुल के निर्माण से लक्ष द्वीप पर रहने वाले लगभग 8,500 निवासियों को भी लाभ होगा।