Pyaj Ka Bhav: गेहूं के बाद अब प्याज का संकट, ऐसे लायेगा पूरी दुनिया की आंखों में आंसू

Pyaj kA Bhav: गेहूं संकट के बाद अब पूरी दुनिया प्याज ( Pyaj ke Bhav ) क्राइसिस का सामना कर सकती है। फ़िलिपींस में इसका असर दिखने भी लगा है। प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की बढ़ती कीमतों की वजह से लोगों ने रोजमर्रा की जिंदगी में प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की खपत को आधी कर दी है, ताकि घर का बजट नहीं बिगड़े। कमोबेश यही हाल मोरक्को में भी है। यहां पर प्याज ( Pyaj ke Bhav ) के साथ- साथ टमाटर भी काफी महंगा हो गया। मोरक्को में महंगाई का आलम यह है कि अब टमाटर और प्याज ( Pyaj ke Bhav ) आम जनता से दूर हो गए हैं। पैसे वाले लोग ही इसे रोज के भाजन में शामिल कर रहे हैं।
फ़िलिपींस की एक नागरिक ने बताया कि वह स्प्रिंग रोल बनाने के लिए रोज एक किलो प्याज ( Pyaj ke Bhav ) खरीदती थी। लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण अब वह आधे किलो प्याज ( Pyaj ke Bhav ) में ही काम चला रही है, ताकि घर का बजट नहीं बिगड़े। इसी तरह मोरक्को की राजधानी रबात में रहने वाली फातिमा ने कहा कि महंगाई के चलते हमने प्याज ( Pyaj ke Bhav ) और टमाटर खरीदना छोड़ दिया है। इसके बजाय वह टैगाइन पकाने के लिए आटिचोक का उपयोग कर रही है। इन दो महिलाओं के अनुभव से पता चलता है कि कैसे खाद्य आपूर्ति पर वैश्विक संकट खतरनाक मोड़ ले रहा है।
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं है
बता दें विश्व को गेहूं क्राइसिस से हाल के महीनों में कुछ हद तक निजात मिली है। बीते कुछ महीनों से गेहूं की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे लोगों की चिंता कम हुई है। लेकिन अब अचानक प्याज ( Pyaj ke Bhav ) और टमार बढ़ती कीमतों ने पूरे विश्व की नींद उड़ा दी है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक ने इस महीने चेतावनी दी थी कि गाजर, टमाटर, आलू और सेब की किल्लत के बाद दुनिया को प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की कमी से भी जूझना पड़ सकता है। रोम में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री सिंडी होलेमैन ने कहा है कि भोजन में सिर्फ पर्याप्त कैलोरी लेना ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं है। आहार की गुणवत्ता खाद्य सुरक्षा और पोषण के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
सालाना उत्पादन लगभग 106 मिलियन मीट्रिक टन है
बता दें कि टमाटर के बाद प्याज ( Pyaj ke Bhav ) दुनिया भर के व्यंजनों का प्रमुख हिस्सा है, जो सबसे ज्यादा खपत वाली सब्जी है। इसका सालाना उत्पादन लगभग 106 मिलियन मीट्रिक टन है। खास बात यह कि प्याज ( Pyaj ke Bhav ) का अकेले उत्पादन गाजर, शलजम, मिर्च और लहसुन के बराबर है। इसका उपयोग कई तरह के व्यंजनों के बनाने में किया जाता है। अभी पाकिस्तान में भी प्याज ( Pyaj ke Bhav ) काफी महंगी हो गई है।
प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की कीमत मांस से भी अधिक हो गई थी
एडीटीवी के मुताबिक, फिलीपींस में प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की बढ़ती कीमत से कोहराम मचा हुआ है। इसका असर नमक से लेकर चीनी की कीमत पर पड़ा है। ऐसे में इन चीजों की भी देश में कमी हो गई है। वहीं, कुछ महीनों के लिए तो प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की कीमत मांस से भी अधिक हो गई थी। इसी तरह कजाकिस्तान में कीमतों में वृद्धि ने अधिकारियों को रणनीतिक भंडार का दोहन करने के लिए प्रेरित किया है, जबकि इसके व्यापार मंत्री ने स्थानीय सुपरमार्केट में आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए भगदड़ के बीच लोगों से बोरी से प्याज ( Pyaj ke Bhav ) नहीं खरीदने का आग्रह किया है।
प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की वजह से सरकार बदल जाती है
दरअसल, आटे- गेहूं की तरह प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की कीमत बढ़ने पर भी जनता परेशान हो जाती है। खास कर भारत में प्याज ( Pyaj ke Bhav ) महंगी होने पर केंद्र में सरकार भी बदल जाती है। साल 1998 में प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की महंगी कीमत की वजह से भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। दो दशक बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से चुनाव जीतने के अपने अभियान में कहा कि किसान उनकी टॉप प्राथमिकता में हैं। ऐसे में अगर इसी तरह पूरी दुनिया में प्याज ( Pyaj ke Bhav ) की कीमत बढ़ती रही तो इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है।