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Success Story: पहली बार UPSC कटऑफ में 0.33% मिस, फिर बनाई 53वीं रैंक के लिए ऐसी रणनीति बन गए IAS

IAS Officer Ashish Kumar: पहले अटेंप्ट में सफलता नहीं मिली क्योंकि वह केवल प्री ही क्लियर कर पाए थे. आशीष कुमार ( IAS Ashish Kumar ) ने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि झटके ने उन्हें और ज्यादा फोकस करने में मदद की.
 
IAS Officer Ashish Kumar

Ashish Kumar IAS Interview: संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. जो लोग इसे पास करते हैं वे IAS, आईएफएस, आईआरएस समेत बड़े-बड़े अधिकारियों के रूप में प्रतिष्ठित पदों पर आसीन होते हैं और शानदार करियर के लिए आगे बढ़ते हैं. IAS अधिकारियों की कई सफलता की कहानियां व्यापक रूप से शामिल हैं और वे न केवल दूसरों को प्रेरणा देती हैं बल्कि तैयारी के बारे में जरूरी सलाह भी देती हैं.

UPSC पास करना एक ऐसा अनुभव है जिसे कई अधिकारी उम्मीदवारों के साथ शेयर करते हैं ताकि उन्हें परीक्षा की तैयारी करने में मदद मिल सके. ऐसे ही एक IAS अधिकारी हैं, जिनकी IAS बनने की जर्नी दिलचस्प रही. हम बात कर रहे हैं आशीष कुमार ( IAS Ashish Kumar ) की, जिन्होंने UPSC सीएसई 2019 में 53 की अखिल भारतीय रैंक (एआईआर) के साथ सफलता प्राप्त की.

आशीष कुमार ( IAS Ashish Kumar ) ने यह सुनिश्चित करने के लिए पढ़ाई के लिए एक अलग स्ट्रेटजी बनाई कि वह अपने दूसरे अटेंप्ट में एग्जाम क्लियर कर जाएं. पहली बार केवल 0.33% कट ऑफ से चूक गए थे. 2018 में, आशीष कुमार ( IAS Ashish Kumar ) ने कथित तौर पर 97.67% स्कोर किया, लेकिन 98% कट-ऑफ गई और वो चूक गए. निराश होने के बजाय, उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव करना शुरू कर दिया और इसे फुलप्रूफ बना दिया.

दार्जिलिंग में पले-बढ़े कुमार की नजर लंबे समय से UPSC पर थी. उन्होंने 2017 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में ग्रेजुएशन किया और फिर कठिन सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने लगे. एक टारगेट के साथ, उन्होंने ग्रेजुएशन होने के बाद कोई काम नहीं किया और परीक्षा की तैयारी के लिए अपना 100 फीसदी देने लगे.
हालांकि, पहले अटेंप्ट में सफलता नहीं मिली क्योंकि वह केवल प्री ही क्लियर कर पाए थे. कुमार ने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि झटके ने उन्हें और ज्यादा फोकस करने में मदद की.

IAS अधिकारी ने कहा कि उन्होंने असफल परिणाम का स्वागत किया और स्वीकार किया कि उनकी तैयारी में कमी थी. उन्होंने दूसरे अटेंप्ट के लिए एक खास स्ट्रेटजी के साथ अपनी तैयारी की प्लानिंग बनाई जिसे उन्होंने खुद डिवेलप किया.

उनकी रणनीति के बीच यह सुनिश्चित करना था कि UPSC की तैयारी सही दिशा में हो, क्योंकि उन्हें पहली बार अपनी प्लानिंग से एक स्पष्ट दिशा के गायब होने का एहसास हुआ. इसमें सिलेबस को क्रॉस-चेक करना और सीमित स्रोत से पढ़ाई करना, जांचे और परखे हुए कंटेंट का टेस्ट करना शामिल था. कुमार ने पिछले सालों के UPSC टॉपर्स की रणनीति का भी बारीकी से अवलोकन किया, आंख बंद करके फॉलो करने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें समझने और अपने खुद के पैटर्न को मजबूत करने के लिए.

दूसरे अटेंप्ट में कुमार ने नोट्स भी बनाए, जो उन्होंने पहली बार नहीं बनाए थे. उन्होंने बड़े पैमाने पर मॉक टेस्ट का प्रयास किया, जबकि पहली बार उन्होंने केवल कुछ ही मौकों पर खुद का टेस्ट किया था. आखिर में, आशीष की रणनीति में मानसिक स्पष्टता रखने में मदद करने के लिए एक स्पष्ट टाइमलाइन थी. उन्होंने खुद को परीक्षा पास करने के लिए तीन मौके दिए और तय किया कि अगर समय रहते UPSC क्लियर नहीं करते हैं तो वह एक अलग करियर की तलाश करेंगे.