आखिर क्यों भाजपा की बजाय अभय चौटाला को ज्यादा कोसने पर जोर दे रहा है हुड्डा परिवार, जानें कारण
चंडीगढ़: लोकसभा चुनावों का बिगुल बजते ही हरियाणा में सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी अपनी सक्रियता बढा दी है एक तरफ जहां भाजपा ने जजपा से गठबंधन तोड़कर सभी दस सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है वहीं दूसरी तरफ INDIA गठबंधन के तहत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का भी प्रदेश में गठबंधन सिरे चढ़ चुका है।
हालांकि INDIA महागठबंधन में शामिल होने के लिए इनेलो ने भी एड़ी चोटी का जोर लगाया लेकिन भूपेंद्र हुड्डा की वीटो पॉवर की वजह से सफलता नही मिल पाई।
गठबंधन में शामिल होने के लिए इनेलो नेता अभय चौटाला कभी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले तो कभी शरद पवार और ममता बनर्जी जैसे बड़े नेताओं के माध्यम से राहुल गांधी तक इनेलो को गठबंधन में शामिल करने की अपील की।
एक वक्त तो SRK गुट की मजबूत पैरवी की वजह से इनेलो को महागठबंधन में शामिल करने पर कांग्रेस हाईकमान राजी हो गया था लेकिन भूपेंद्र हुड्डा ने पार्टी छोड़ने की धमकी दे डाली जिससे कांग्रेस हाईकमान बैकफुट पर आ गया और इनेलो को महागठबंधन में शामिल नही किया।
अब जब चुनाव घोषित होते ही जैसे ही कुरुक्षेत्र सीट पर इनेलो नेता अभय चौटाला के चुनाव लड़ने की घोषणा हुई हुड्डा परिवार हड़बड़ाहट में आ गया और इनेलो पार्टी पर कांग्रेस के वोट काटने के आरोप लगाने लगा।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि जो भूपेंद्र हुड्डा परिवार ये कहकर इनेलो के गठबंधन में शामिल होने में रोड़ा बना था कि इनेलो के पल्ले अब कुछ नही बचा है उसी ईनेलो के पल्ले अब ऐसे क्या आ गया कि हुड्डा परिवार बैचैन हो गया।
जाहिर सी बात है पार्टीयां तो चुनाव लड़ने के लिए ही होती है अगर इनेलो के पल्ले कुछ था तो हुड्डा ने महागठबंधन में शामिल होने का विरोध क्यों किया और अगर इनेलो पार्टी के पल्ले कुछ नही है तो हुड्डा परिवार अब भाजपा पर हमले की बजाय अभय चौटाला पर इतने हमले क्यो कर रहा है।
अब बड़ा सवाल ये है कि अपने हर कार्यक्रम में भूपेंद्र हुड्डा परिवार विपक्ष में होते हुए भाजपा की कमियां गिनाने की बजाय अभय चौटाला पर हमला करके भाजपा से कौनसे एहसान का बदला चुका रहा है।