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उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन सा दल किस तरफ, ऐसे बना NDA उम्मीदवार की जीत का ब्लूप्रिंट

 
उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन सा दल किस तरफ, ऐसे बना NDA उम्मीदवार की जीत का ब्लूप्रिंट

Vice Presidential Election 2022: देश को आज नया उपराष्ट्रपति मिल जाएगा. उपराष्ट्रपति पद के लिए आज चुनाव होने जा रहे हैं और आज शाम को ही इस चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे. इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए (NDA) की ओर से पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) हैं. जगदीप धनखड़ का मुकाबला विपक्ष की उम्मीदवार मारग्रेट अल्वा (Margaret Alva) से है. मौजदू उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है. इससे पहले नया उपराष्ट्रपति चुना जाना है. उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है ऐसे में आज इस पर भी फैसला हो जाएगा. सुबह 10 बजे से होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग पर देशभर की नजरें टिकी हुई हैं.

सरकार और विपक्ष आमने सामने

राष्ट्रपति चुनावों के बाद एक बार फिर एक और सियासी मैदान सच चुका है. सरकार और विपक्ष हर बार की तरह एक दूसरे के आमने सामने है. हम बात कर रहे हैं देश के उपराष्ट्रपति चुनाव की जिसमें एक बार फिर विपक्ष और सरकार एक दूसरे को अपनी ताकत दिखाएंगे. आज हो रहे उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सुबह 10 बजे वोटिंग शुरू हो गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपना वोट डाल दिया है. बताते चलें कि इस चुनाव में कुल 788 वोट डाले जा सकते हैं. इसमें लोकसभा के 543 सांसद और राज्यसभा 243 सदस्य अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. इस चयन प्रकिया में राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनीत सांसद भी शामिल होंगे.

क्या है उपराष्ट्रपति की चयन प्रकिया

उपराष्ट्रपति का चुनाव बैलेट पेपर के ज़रिए होता है. सांसदों को अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है. हर मतदाता को सभी उम्मीदवारों को प्राथमिकता देनी होती है. NDA की ओर से उप राष्ट्रपति चुनावों के लिए बंगाल के मौजूदा राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को मैदान में उतारा है.

एनडीए प्रत्याशी की जीत का गणित

राष्ट्रपति चुनावों की ही तरह इस बार भी NDA की जीत लगभग तय मानी जा रही है. बीजेपी अकेले अपने दम पर जगदीप धनखड़ को चुनाव जिताने की स्थिति में है. बीजेपी के पास लोकसभा में 303 तो राज्यसभा में 91 सदस्य हैं. वोटिंग से पहले शुक्रवार देर शाम संसद के लाइब्रेरी बिल्डिंग में NDA सांसदों की बैठक भी हुई. इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda), गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) समेत तमाम बड़े नेता शामिल हुए. इस बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति चुनाव में इनवैलिड वोटिंग की संभावना को रोकने के लिए अभ्यास कराया गया.

बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ही तरह जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया जाना बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं, किसान परिवार से हैं और जाट समुदाय से आते हैं. मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन में जाट किसान भी बड़ी तादाद में शामिल थे.

एक तीर से कई निशाने

इसके अलावा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटरों और किसानों की संख्या अच्छी-खासी है. कई निर्वाचन क्षेत्रों में जाट वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. राजस्थान में तो अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं. गौर करने वाली बात यह है कि धनखड़ की उम्मीदवारी का एलान करते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उन्हें 'किसान पुत्र' कहकर संबोधित किया. राष्ट्रपति चुनावों की ही तरह इन चुनावों में भी विपक्ष एक बार फिर अलग थलग नजर आया. बीएसपी (BSP) की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने जगदीप धनखड़ को समर्थन देने का ऐलान किया तब भी इस फैसले के कई मायने निकाले जाने लगे.

कौन सा दल किस तरफ

पश्चिम बंगाल की सत्ता में काबिज टीएमसी (TMC) ने इस चुनाव से दूरी बनाई है. एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को वाईएसआरसीपी, बीएसपी, टीडीपी, बीजेडी, अन्नाद्रमुक, शिवसेना के विरोधी पक्ष आदि का समर्थन मिल चुका है. निर्वाचक मंडल की गणित के मुताबिक, धनखड़ के पक्ष में दो-तिहाई वोट दिख रहे हैं. ऐसे में आंकड़ों के लिहाज से धनखड़ की जीत तय लग रही है. जगदीप धनखड़ को 515 के करीब मत मिलने का अनुमान जताया जा रहा है.

वहीं अल्वा को मिले विपक्षी दलों के समर्थन को देखते हुए अनुमान जताया जा रहा है कि उन्हें लगभग 200 वोट मिल सकते हैं. वहीं दूसरी ओर दिल्ली (Delhi) और पंजाब (Punjab) की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का समर्थन करने का ऐलान है. इसी तरह ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने भी अल्वा का समर्थन किया है

उप राष्ट्रपति चुनावों में भी विपक्ष की ताकत NDA और बीजेपी के सामने लगभग खत्म नजर आ रही है. ऐसें में कयास लग रहे हैं कि अगर अभी हाल ही में हुआ देश के राष्ट्रपति चुनाव का चुनाव, साल 2024 में लोकसभा के आम चुनाव की जीत का रास्ता था तो क्या उप राष्ट्रपति चुनाव उस जीत की मुहर साबित होगा?