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Success Story: 75 परिवारों में हैं 47 अफसर, ये गांव है IAS, IPS की फैक्ट्री, जानिए इस गाँव का इतिहास

 
Success Story

47 IAS Officers in Madhopatti: महात्मा गांधी ने सच ही कहा था कि "भारत अपने गांवों में बसता है" और माधोपट्टी (Officers Village Madhopatti) गांव के लोगों ने इन शब्दों को सही साबित किया. स्टूडेंट्स के लिए कोई उचित सुविधा न होने के कारण इस गांव ने अपनी मेहनत से पूरे देश को दिखा दिया है कि सच्ची लगन, मेहनत और एकाग्रता से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल लगभग दस लाख उम्मीदवार देश भर में एक हजार से कम वैकेंसी के लिए कंपटीशन करते हैं. फाइनल लिस्ट में जगह बनाने वाले निश्चित रूप से भाग्यशाली हैं, लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जो लिस्ट में जगह बनाने में असमर्थ हैं.

उत्तर प्रदेश किसी भी अन्य राज्य की तुलना में ज्यादा सिविल अधिकारी पैदा करता है, और उत्तर प्रदेश के इस छोटे से गांव में पूरे देश के प्रशासनिक मामलों को चलाने की क्षमता! जौनपुर जिले के माधोपट्टी (Officers Village Madhopatti) गांव में 75 घर हैं और लगभग हर घर में आईएएस या पीसीएस कैडर का एक अफसर है.

इस गांव में कुल 75 घर हैं, लेकिन यहां से अफसरों की संख्या 50 से ज्यादा है. इस गांव के बेटे-बेटियां ही नहीं, बहुएं भी अफसरों का पद संभाल रही हैं. खबरों के मुताबिक, जौनपुर का माधोपट्टी (Officers Village Madhopatti) गांव अब गाजीपुर के 'जवानों के गांव' के रूप में जाने जाने वाले घहमर गांव के बराबर खड़ा है, जहां हर घर में कम से कम एक सदस्य सेना में है.

जौनपुर के माधोपट्टी (Officers Village Madhopatti) गांव में, कई लोगों ने सिविल सेवाओं में करियर चुना है. गांव के कुछ युवाओं ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के साथ भी सफल करियर पाया है. इतना ही नहीं इस गांव के नाम चार भाई-बहनों का IAS के लिए चुने जाने का अनोखा रिकॉर्ड भी है. 1955 में सिविल सर्विस क्रैक करने वाले विनय कुमार सिंह बिहार के मुख्य सचिव के रूप में रिटायर हुए.

विनय कुमार सिंह के दो भाई-बहन, छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 1964 में परीक्षा पास की. चौथे भाई शशिकांत सिंह 1968 में IAS बने. छत्रपाल सिंह ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव के रूप में भी काम किया. 

माधोपट्टी गांव के पहले सिविल सेवक (First civil servant from Madhopatti village)

रिपोर्टों के मुताबिक, माधोपट्टी (Officers Village Madhopatti) के पहले सिविल सेवक मुस्तफा हुसैन थे, जो प्रसिद्ध कवि वामिक जौनपुरी के पिता थे, जो 1914 में सिविल सेवाओं में शामिल हुए थे. इसके बाद 1952 में गांव में अगली सिविल सेवा रैंक आई जब इंदु प्रकाश आईएएस अधिकारी बनीं. जब से इस गांव के युवाओं को सिविल सेवा को गंभीरता से लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

गांव की सूरत जस की तस है (Face of the village remains unchanged)

माधोपट्टी (Officers Village Madhopatti) गांव के लगभग हर घर में सिविल सेवाओं में एक सदस्य होने के बावजूद, गांव का चेहरा बिलकुल नहीं बदला है. गांव की सड़कें गड्ढों वाली हैं, मेडिकल सुविधाएं बहुत बेसिक हैं और बिजली की आपूर्ति बहुत खराब है, यही नहीं आईएएस उम्मीदवारों के लिए एक भी कोचिंग सेंटर नहीं है.