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महिलाएं क्यों पहनती हैं चूड़ियां, 99% लोग नहीं जानते होंगे वैज्ञानिक और धार्मिक कारण

Bangles Religious Beliefs: अगर धार्मिक नजरिए से देखा जाए तो कहा जाता है कि अगर शादीशुदा महिलाएं हाथों में चूड़ियां पहनती हैं तो उनके पति की उम्र लंबी होती है। वास्तु शास्त्र में भी चूड़ी पहनने के कई फायदे बताए गए हैं। माना जाता है कि चूड़ियों की आवाज से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-शांति बढ़ती है।
 
Bangles Religious Beliefs

हिंदू मान्यताओं में महिलाओं के लिए 16 श्रंगार हैं। इनमें सिंदूर, मंगलसूत्र और चूड़ियां शामिल हैं। भले ही समय बदल गया हो और लोगों के पहनावे और स्टाइल बदल गए हों, चूड़ियों की लोकप्रियता गायब नहीं हुई है। उन्हें अभी भी धार्मिक अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार शादी के बाद महिलाओं को अपने हाथ खाली नहीं रखने चाहिए। यानी उन्हें हाथों में चूड़ियां पहननी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे दांपत्य जीवन सुखमय रहता है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से कहा जाता है कि विवाहित महिलाएं अपने पति की आयु बढ़ाने के लिए हाथों में चूड़ियां पहनती हैं। वास्तु शास्त्र में भी चूड़ी पहनने के कई फायदे बताए गए हैं। माना जाता है कि चूड़ियों की आवाज से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-शांति बढ़ती है।

हिंदू परंपराओं के अनुसार जिस घर में महिलाएं चूड़ियां पहनती हैं, उस घर में किसी चीज की कमी नहीं होती है। आर्थिक तंगी भी परेशान नहीं करती। इसके अलावा यदि बुध जल की कृपा में हो तो भी महिलाओं को चूड़ियां पहनना सौभाग्यशाली माना जाता है।

कर्मकांड में जो कुछ भी महत्वपूर्ण बताया गया है, उसके पीछे एक वैज्ञानिक सिद्धांत होना चाहिए। जानकारों का कहना है कि चूड़ियां पहनने से महिलाओं में दिल और सांस की बीमारियां कम होती हैं। उनका मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा होता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कलाई के नीचे करीब 6 इंच के एक्यूप्रेशर प्वाइंट होते हैं, जिन्हें एक साथ दबाने पर शरीर के कई रोग दूर हो जाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि चूड़ियां पहनने से उनकी त्वचा और उनके बीच घर्षण होता है। इससे एक ऊर्जा मिलती है। यह ऊर्जा रक्त संचार को नियंत्रित करती है। इसलिए चूड़ियां पहनने के बाद महिलाएं खुद को ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करती हैं।

(अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Haryana Kranti इसकी पुष्टि नहीं करता है।)