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आजादी से पहले की ये 7 भारतीय कंपनियां, आज भी दुनिया में बजता है डंका, बनाती हैं ये प्रोडक्ट्स

 
आजादी से पहले की ये 7 भारतीय कंपनियां, आज भी दुनिया में बजता है डंका, बनाती हैं ये प्रोडक्ट्स

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजाद होने के बाद हर साल 15 अगस्त को आजादी का दिन या इंडिपेंडेंस-डे सेलिब्रेट (Independence Day) किया जाता है. भारत आज दुनिया भर में अपनी अहमियत और रुतबा पेश कर रहा है. सबसे तेजी से बढ़ती इस अर्थव्यवस्था (Economy) में कारोबारी जगत के दिग्गजों का बड़ा योगदान है. इनमें कई उद्योगपति ऐसे हैं, जिन्होंने आजदी से पहले कंपनियां स्थापित करके देश को आर्थिक मजबूती दी और आज भी दे रही हैं.

दुनिया में भारत का झंडा बुलंद

भारत के कारोबारी इतिहास को देखें तो देश में आजादी से पहले की करीब 70 कंपनियों ने Economy को आगे बढ़ाने में अपना योगदान किया. इनमें से कई ऐसी कंपनियां हैं, जो ब्रिटिश शासन के दौरान अपनी नींव डाली और आजादी के 7 दशक से ज्यादा समय बाद आज भी भारतीय कारोबार जगत की शान बनी हुई हैं और अरबों-खरबों में कारोबार कर दुनिया भर में भारत का झंडा बुलंद कर रही है.

इन उद्योगपतियों ने की शुरुआत

देश की अर्थव्यवस्था में अपने कारोबारों के जरिए योगदान देने वाले देश के दिग्गज उद्योगपतियों की बात करें तो जमशेतजी टाटा, एसके आर्देशर और पिरोजशा गोदरेज, माधव प्रसाद बिड़ला और केए हमीद जैसे नाम सबसे ऊपर आते हैं. इनके द्वारा स्थापित कंपनियां आज भी बड़े स्तर पर कारोबार कर रही हैं और हजारों-लाखों लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रही है.

सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी भारत

फिलहाल की बात करें तो आईएमएफ (IMF) से लेकर विश्व बैंक (World Bank) तक ने इस बात को माना है कि दुनियाभर में भारत आर्थिक मंदी (Recession) और महंगाई (Inflation) के साये के बावजूद सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है. हेल्थ सेक्टर हो या फिर एविएशन सेक्टर, आईटी सेक्टर हो या ऑटो सेक्टर भारतीय कंपनियों की धमक पूरी दुनिया में सुनाई देती है. हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी कंपनियों के बारे में जो आजादी के पहले से भारत में शुरू हुईं और आज देश के साथ-साथ विदेशों में भी सबसे आगे बनी हुई हैं.

टाटा ग्रुप (शुरुआत: वर्ष 1868)

चेयरमैनः रतन टाटा

आजादी से पहले शुरू हुई कंपनियों की बात करें तो टाटा ग्रुप (Tata Group) का नाम सबसे ऊपर आता है. देश को नमक से लेकर लग्जरी कार तक बनाकर देने वाले समूह के कारोबार की शुरुआत 1868 में हुई थी. आज आईटी सेक्टर (IT Sector) की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस (TCS), मेटल सेक्टर में टाटा स्टील (Tata Steel), टाटा मोटर्स (Tata Motors) के साथ इंडियन होटल कंपनी (Indian Hotel Company) इस समूह का हिस्सा है.

एअर इंडिया (Air India) के जरिए जहां टाटा समूह एविएशन सेक्टर में बड़ा नाम है, तो वाहनों के मामले में जैगुआर (Jaguar) और लैंड रोवर (Land Rover) ब्रांड भी टाटा के हाथ आ चुके हैं. जमशेदजी टाटा द्वारा 1903 में इंडियन होटल्स कंपनी की स्थापना की गई थी. मुंबई में ताजमहल पैलेस (Taj Hotel Mumbai) आज देश की पहचान बन चुका है.

ब्रिटानिया (शुरुआतः वर्ष 1892 )

चेयरमैनः नस्ली वाडिया

फूड सेक्टर (Food Sector) की इस बड़ी कंपनी ब्रिटानिया (Britannia) की शुरुआत भी आजादी से पहले साल 1892 में हुई थी. आज भी बिस्किट से लेकर अन्य खाद्य उत्पादों के कारोबार में इसका दबदबा बना हुआ है. इस कंपनी की स्थापना कोलकाता में वाडिया परिवार (Wadia Family) ने की थी.

पुरानी रिर्पोटों की मानें तो एक छोटी सी दुकान से शुरू हुआ कारोबार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तेजी से बढ़ा और आज दुनियाभर में इसका कारोबार फैला हुआ है. फोर्ब्स (Forbes) के मुताबिक, 2022 में कंपनी के नेटवर्थ 370 करोड़ डॉलर पर पहुंच गई गई है.

गोदरेज (शुरुआतः वर्ष 1897)

चेयरमैनः नादिर गोदरेज

गोदरेज (Godrej) आज मेटल, इलेक्ट्रॉनिक्स समेत रिएलिटी सेक्टर तक में जाना-पहचाना नाम है. यह समूह उन बड़े नामों में शामिल है, जो आजादी से पहले से देश आर्थिक सेहत को दुरुस्त करने में भूमिका निभा रहा है. साल 1897 में आर्देशर गोदरेज और उनके भाई पिरोजशा गोदरेज ने इस कंपनी की स्थापना की थी.

कंपनी की तिजोरियों पर अंग्रेजों को भी पूरा भरोसा था. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 1911 में किंग जॉर्ज पंचम और रानी मेरी ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान अपने कीमती सामानों को रखने के लिए गोदरेज की तिजोरियों को ही चुना था.

बिड़ला समूह (शुरुआतः वर्ष 1890)

चेयरमैनः कुमार मंगलम बिड़ला

भारतीय कारोबारी इतिहास को देखें तो बिड़ला समूह (Birla Group) ने आजादी से पहले कारोबार शुरू किया. घनश्याम दास बिड़ला के दादा, शिव नारायण बिड़ला ने साहूकारी करते हुए कपास व्यवसाय शुरू किया था. इसके बाद 1890 में जूट निर्माण कंपनी के रूप में पहला उद्योग स्थापित किया. बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Birla Corporation Limited), एमपी बिड़ला समूह की कंपनियों की एक भारतीय-आधारित प्रमुख कंपनी है.

इसकी स्थापना 1910 के दशक के अंत में घनश्याम दास बिड़ला द्वारा की गई थी और माधव प्रसाद बिड़ला ने इसे संचालित किया था. आज दुनिया के 36 देशों में कंपनी का कारोबार है और यह बिड़ला समूह करीब 140,000 लोगों को रोजगार दे रहा है.

टीवीएस (शुरुआतः वर्ष 1911)

चेयरमैनः वेणु श्रीनिवासन

टीवीएस मोटर (TVS Motors) कंपनी दुपहिया वाहन बनाने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में एक है. घोड़ा गाड़ी और बग्घियों के दौर में इस कंपनी को शुरू किया गया था. इसका मुख्यालय चेन्नई में है और टीवीएस कंपनी की स्थापना साल 1911 में टीवी सुंदरम अयंगर द्वारा की गई थी. देश में जमींदारी प्रथा खत्म हुई और आर्थिक रूप से सक्षम होते हुए वाहनों की बिक्री भी बढ़ने लगी. आजादी के सात दशक बाद आज भी टीवीएस मोटर्स का रुतबा कायम है और कंपनी का टर्नओवर अरबों में है.

डाबर (शुरुआतः वर्ष1884 )

चेयरमैनः आनंद बर्मन

आयुर्वेदिक दवाओं को बेचने वाली Dabur कंपनी को साल 1884 में शुरू किया गया था. इसके संस्थापक एसके बर्मन पेशे से एक डॉक्टर थे. इस कंपनी को बाजार में अपनी पहचान में लंबा संघर्ष करना पड़ा, लेकिन 1990 के बाद से कंपनी का कारोबार तेजी से बढ़ने लगा. हेल्थ सेक्टर की दूसरी बड़ी कंपनी सिप्ला (Cipla) भी डॉ केए हमीद द्वारा 1935 में स्थापित की गई थी. सिप्ला दवा उद्योग का बड़ा नाम बन चुका है और इस कंपनी का कारोबार 100 देशों में फैला हुआ है.

रेमंड लिमिटेड (शुरुआतः वर्ष 1925)

चेयरमैनः गौतम हरि सिंघानिया

देश को आजादी मिलने से पहले खोली गई कंपनियों में रेमंड लिमिटेड (Raymond Limited) का नाम भी है. इसकी स्थापना साल 1925 में महाराष्ट्र के ठाणे में ऊनी मिल के रूप में हुई थी. इसके बाद 1958 में मुंबई में पहला अनन्य रेमंड रिटेल शोरूम (Raymond Retail Showroom) खोला गया था. इसके अलवा आज यह देश में पंप और वॉल्व बनाने वाली अरबों के टर्नओवर वाली कंपनी किर्लोस्कर की शुरुआत साल 1888 में हुई थी. लक्ष्मणराव किर्लोस्कर ने इस कंपनी को ट्रेडिंग कंपनी के रूप में शुरू किया था.